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मान्यता है कि, तभी से इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा

हाल ही में केरल स्थित सबरीमाला में अय्यप्पा स्वामी मंदिर के सबरीमाला मंदिर बोर्ड के प्रमुख द्वारा विवादित बयान जारी किया गया। मंदिर के प्रमुख लोगों का कहना थाकि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए। दरअसल मंदिर प्रमुख का कहना है कि मासिक धर्म टेस्ट करने वाली मशीन

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 03:06 PM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 11:41 AM (IST)
मान्यता है कि, तभी से इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा

हाल ही में केरल स्थित सबरीमाला में अय्यप्पा स्वामी मंदिर के सबरीमाला मंदिर बोर्ड के प्रमुख द्वारा विवादित बयान जारी किया गया। मंदिर के प्रमुख लोगों का कहना थाकि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए।

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दरअसल मंदिर प्रमुख का कहना है कि मासिक धर्म टेस्ट करने वाली मशीन के चेक होने के बाद ही महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलेगी। उन्हें लगता है कि महिलाओं की शुद्धता का पता लगाना मुश्किल होता है।

लेकिन क्या आप जानते हैं महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म का उल्लेख हिंदू धर्म ग्रंथो में भी मिलता है। भागवत पुराण के अनुसार स्त्रियों को मासिक धर्म क्यों होता है? इस बारे में एक पौराणिक कथा मिलती है।

पुराण के अनुसार एक बार 'बृहस्पति' जो देवताओं के गुरु थे, एक बार वह देवराज इंद्र से काफी नाराज हो गए। इसी दौरान असुरों ने देवलोक परआक्रमण कर दिया और इंद्र को इंद्रलोक छोड़कर जाना पड़ा।

तब इंद्र, ब्रह्माजी के पास पहुंचे और उनसे मदद की मांग की। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि, इंद्र देव आपको किसी ब्रह्म-ज्ञानी की सेवा करनी चाहिए ऐसे में आपके दुःख का निवारण होगा। तब इंद्र एक ब्रह्म-ज्ञानी व्यक्ति की सेवा करने लगे। लेकिन वो इस बात से अनजान थे कि उस ब्रह्म-ज्ञानी की माता असुर थीं। माता का असुरों के प्रति विशेष लगाव था।

ऐसे में इंद्र देव द्वारा अर्पित सारी हवन सामग्री जो देवताओं को अर्पित की जाती थी, वह ब्रह्म-ज्ञानी असुरों को चढ़ाया करते थे। इससे इंद्र की सेवा भंग हो गई। जब इंद्र को यह बात पता चली तो वो बहुत नाराज हुए। उन्होंने उस ब्रह्म-ज्ञानी की हत्या कर दी। हत्या करने से पहले इंद्र उस ब्रह्म-ज्ञानी को गुरु मानते थे और गुरु की हत्या करना घोर पाप है। इसी कारण उन्हें ब्रह्महत्या का दोष भी लग गया।

ये पाप एक भयानक दानव के रूप में उनका पीछा करने लगा। किसी तरह इंद्र ने स्वयं को एक फूल में छुपाया और कई वर्षों तक उसी में भगवान विष्णु की तपस्या करते रहे। भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और इंद्र को ब्रह्म हत्या के दोष से बचा लिया। उन्होंने इस पाप मुक्ति के लिए एक सुझाव दिया। सुझाव के अनुसार इंद्र ने पेड़, जल, भूमि और स्त्री को अपने पाप का थोड़ा थोड़ा अंश देने के लिए मनाया। इंद्र की बात सुनकर वह तैयार हो गए। इंद्र ने उन्हें एक-एक वरदान देने की बात कही।

सबसे पहले पेड़ ने ब्रह्महत्या के पाप का एक चौथाई हिस्सा लिया जिसके बदले में इंद्र ने पेड़ को अपने आप जीवित होने का वरदान दिया। इसके बाद जल ने एक चौथाई हिस्सा लिया तो इंद्र ने जल को वरदान दिया कि जल को अन्य वस्तुओं को पवित्र करने की शक्ति होगी।

तीसरे पड़ाव में भूमि ने ब्रह्म हत्या का दोष इंद्र से लिया बदले में इंद्र ने भूमि को वरदान दिया कि भूमि पर आने वाली कोई भी चोट से उसे कोई असर नहीं होगा और वो फिर से ठीक हो जाएगी। आखिर में स्त्री ही शेष बची थी। इंद्र का ब्रह्म हत्या का दोष स्त्री ने लिया। बदले में इंद्र ने स्त्री को वरदान दिया कि स्त्रियों को हर महीने मासिक धर्म होगा। लेकिन महिलाएं पुरुषों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा काम का आनंद उठा सकेगीं।

पौराणिक मतों के अनुसार स्त्रियां ब्रह्म हत्या यानी अपने गुरु की हत्या का पाप सदियों से उठाती आ रही हैं। इसलिए उन्हें मंदिरों में अपने गुरुओं के पास जाने की इजाजत नहीं है। मान्यता है कि तभी से स्त्रियों में मासिक धर्म का होना शुरू हुआ। हालांकि आधुनिक युग में वैज्ञानिक मत को मानने वाले लोग इन बातों को गंभीरता से नहीं लेते हैं।


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