आज से दिशा बदल रहा गुरू ग्रह, जाने राशियों पर कैसा होगा इसका प्रभाव
पंडित दीपक पांडे के अनुसार 9 मार्च 2018 से 10 जुलाई 2018 तक गुरू ग्रह तुला राशि में वक्री रहेंगे।
सौर मंडल में गुरू का स्वरूप
देवगुरु बृहस्पति को सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है। इस ग्रह के स्वरूप के बारे में बताया गया है कि गुरु स्थूल शरीर, गोरे रंग, कफ प्रकृति, पीली आंखें और पीतम युक्त बाल वाले विद्वान हैं। सूर्य, चंद्र और मंगल ग्रह गुरु के मित्र हैं जबकि बुध और शुक्र शत्रु हैं। शनि ग्रह के प्रति उनका समानता का भाव रहता है। औसतन 1 वर्ष एक राशि में भ्रमण करने के कारण इनके गोचर का प्रभाव शनी की भांति ही स्थाई रहता है
वक्री हो रहे हैं
गुरु 12 सितंबर 2017 को गुरुदेव तुला राशि में स्थित है जहां कि वे 11 अक्टूबर 201 8 तक स्थित रहेंगे। इसके बाद वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। 9 मार्च 2018 को शाम 8:00 बज करके 14 मिनट पर वे तुला राशि में वक्री होंगे। जहां से वे 10 जुलाई 2018 को रात को 10:00 बज करके 41 मिनट पर तुला राशि पर ही मार्गी हो जायेंगे। हालाकि सभी ग्रह विभिन्न राशियों में भ्रमण करते रहते हैं, किंतु धर्म के कारक ग्रह गुरु का कालखंड में वक्री होना कहीं ना कहीं अग्नि की तरफ प्रेरित करता है। इसके चलते कहा जा सकता है कि 9 मार्च 2018 से 10 जुलाई 2018 के बीच में कोई भी भयानक अग्नि कांड हो सकता है। या इस कालखंड में हम देश की 9 विभूतियों को खो सकते हैं अतः आम जनमानस को अपनी वाणी तथा अग्नि के मामलों में संयम बरतना चाहिए।
विभिन्न राशियों पर प्रभाव
मेष राशि- मेष राशि वाले व्यक्तियों के लिए गुरु सप्तम भाव में गोचर करेगा। शुभ फल देगा, धन लाभ होगा, रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे, विभिन्न सफलताएं प्राप्त होगी तथा सर्व सौभाग्य की प्राप्ति होगी। भाग्योदय होगा, तीर्थयात्राएं संभव होगी, विवाह योग्य लोगों के विवाह के योग बनेंगे, दांपत्य जीवन में चली आ रही समस्या समाप्त होगी और मधुरता रहेगी। शुभ एवं मांगलिक कार्यों के अवसर प्राप्त होंगे, अधिकारियों एवं प्रभावशाली व्यक्ति से संपर्क बढ़ेगा तथा लाभ प्राप्त होगा।
वृष राशि- आपके लिए गुरु छठे भाव में गोचर करेगा यह अशुभ फल दायक रह सकता है। इस अवधि में आपको शत्रुओं से परेशानी होगी, माता से विरोध एवं वैचारिक मतभेद रह सकते हैं, स्वभाव में रुग्णता उत्पन्न होगी, अप्रत्याशित परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, धन हानि, अनावश्यक व्यय से आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है और मुकदमेबाजी का शिकार होना पड़ सकता है। नौकरी, व्यवसाय में समस्याएं आ सकती हैं। पीलिया, लीवर और पेट संबंधी समस्याएं परेशान कर सकती है। खान-पान में विशेष ध्यान रखना चाहिए।
मिथुन राशि- इनका गुरु पंचम भाव में हैं और त्रिकोण राशि में गुरु का गोचर शुभ फलदायक रहेगा। इस अवधि में संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है अथवा संतान पक्ष से शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है। राज्य एवं समाज में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी, प्रतियोगिता परीक्षा के विद्यार्थियों को सफलता के अवसर प्राप्त होंगे, वरिष्ठ व्यक्तियों से अनुकूलता एवं सहयोग की प्राप्ति होगी, विद्यार्थियों को अध्ययन में सफलता प्राप्त होगी, आजीविका के अभिलाषी व्यक्तियों को शुभ परिणाम प्राप्त होंगे, रत्न आभूषणों का सुख मिलेगा और मानसिक शांति का अनुभव होगा।
कर्क राशि- इन लोगों के लिए गुरु चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे। जिससे सामान्यतः अशुभ फल प्रदान होगा। माता का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है, नौकरी वर्ग को पदोन्नति में व्यवधान या रुकावट आ सकती है, व्यापारी वर्ग भी आर्थिक तंगी का अनुभव कर सकते हैं, चल अचल संपत्ति से संबंधित विवाद उत्पन्न हो सकते हैं, जिसके कारण न्यायालय का सहारा लेना पड़ सकता है, आप के प्रभाव में एवं अधिकारों में कमी आएगी, किन्ही कारणों से आप मानसिक अशांति का भी अनुभव हो सकता है और वाहन के साथ जानवरों से खतरे की आशंका है। अनावश्यक व्यय एवं व्यर्थ की यात्राएं भी परेशान कर सकती हैं।
सिंह राशि- आपके लिए गुरु तृतीय भाव में गोचर करेगा। भाग्योदय में व्यवधान उत्पन्न होगा, संतान को कष्ट, जीवन साथी भी प्रभावित हो सकता है, आर्थिक दृष्टि में प्रतिकूल फलों का सामना करना पड़ेगा, धन हानि एवं अत्यधिक व्यस्त संचित धन में कमी, भाई बहनों एवं कुटुंबीजनों से वैचारिक मतभेद रहेंगे, जन्म स्थान से दूर जाने का योग, व्यापारी वर्ग को उतार-चढ़ाव की स्थिति और आय की अपेक्षा व्यय की अधिकता का सामना करना पड़ सकता है। ऋण ग्रस्त होने की संभावना बन सकती है, प्रियजनों एवं निकटतम संबंधियों को शारीरिक कष्ट की अनुभूत होगी। शारीरिक कष्ट भी परेशान कर सकते हैं।
कन्या राशि- इन्हे शुभ फल प्राप्त होगा, मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी आपेक्षित धन लाभ होगा तथा धन संचय की भी संभावना रहेगी। आपको अपनी वाणी एवं व्यक्तित्व से लोगों पर अपना प्रभाव स्थापित करना चाहिए। पारिवारिक सुख की प्राप्ति होगी, स्थाई संपत्ति में वृद्धि के योग, व्यापारी वर्ग को व्यवसाय में लाभ, संतान व संतान से सुख मिलने की संभावना, कार्यों में प्रगति और विद्यार्थी वर्ग को यश एवं प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी।
तुला राशि- ये लोग अनावश्यक भय से पीड़ित रह सकते हैं, बुद्धि भ्रमित हो सकती है और निर्णय क्षमता में कमी का अनुभव करेंगे। विरोधी आपको परेशान कर सकते हैं, समाज में अपयश का सामना करना पड़ सकता है, जन्म स्थान से दूर जाने की संभावना, अनावश्यक धन व्यय से आपकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। संतान एवं जीवन साथी के सुख में कमी का अनुभव होगा।
वृश्चिक राशि- आपकी राशि में गुरु बारहवें भाव में गोचर करेंगे। आप मानसिक अशांति का अनुभव करेंगे, अज्ञात भय एवं दुख आपको सताता रहेगा, पारिवारिक परेशानियां भी हो सकती हैं और कुछ अनपेक्षित समस्यायें आ सकती हैं जैसे आपकी आर्थिक स्थिति प्रभावित होगी। परिजनों से अकारण विरोध तथा सामाजिक पद प्रतिष्ठा की भी हानि होने की आशंका है।
धनु राशि- इनके लिए गुरु एकादश भाव में गोचर भ्रमण करेंगे और आपको मानसिक सुख एवं शांति की प्राप्ति होगी। आप प्रसन्नचित एवं उत्साहित रह सकते हैं, समाज में मान प्रतिष्ठा एवं अधिकारों में वृद्धि होगी, ईस्ट मित्रों से लाभ एवं सहयोग मिलेगा, विवाह के अभिलाषी व्यक्तियों के लिए विवाह के योग बनेंगे, संतान प्राप्ति अथवा संतान पक्ष से प्रसन्नता की अनुभूति होगी, रुके हुए कार्य पूर्ण होंगे, बुद्धि एवं विवेक में वृद्धि होगी, धन लाभ एवं यश की प्राप्ति होगी और आप प्रसन्नता का अनुभव करेंगे। पदोन्नती के अवसर मिलेंगे, व्यवसायी वर्ग को आय में वृद्धि होगी।
मकर राशि- इनके लिए गुरु दशम भाव पर भ्रमण करेंगे। इस अवधि में पिता एवं पुत्र के मध्य किन्ही कारणों से वैचारिक मतभेद रहेगा, नौकरी में स्थानांतरण की आशंका रहेगी, कार्यालय में आपके अधिकारों में न्यूनता आ सकती है, पारिवारिक विवाद उत्पन्न होने से भी आप चिंता का अनुभव करेंगे और ससुराल से संबंध बिगड़ सकते हैं।
कुंभ राशि- आपके लिए गुरु का भ्रमण नवम भाव में होगा चंद्र राशि होने से गुरु का गोचर आपको शुभ फलदायक रहेगा। इस अवधि में आपकी रुचि धर्म एवं अध्यात्म के प्रति बढ़ेगी, तीर्थ यात्राएं करने के अवसर प्राप्त होंगे, समाज में आपके मान-सम्मान व कीर्ति में वृद्धि होगी और सद कार्यों में धन व्यय की संभावना है। नौकरी वर्ग को पावन अवसर प्राप्त होंगे और आपको राज्य समाज एवं वरिष्ठ जनों में प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी। घर में कोई सुख एवं मांगलिक कार्य संपन्न होने से प्रसन्नता का अनुभव होगा, विवाह योग्य व्यक्तियों को सुख प्राप्त होंगे और आपके वैभव में वृद्धि होगी।
मीन राशि- वालों को शारीरिक थकान का अनुभव हो सकता है, व्यवसाय में परिवर्तन अथवा अस्थिरता, व्यर्थ की यात्राएं, स्थानांतरण, निवास स्थान परिर्वतन, धन हानि और आर्थिक तंगी काफी अनुभव हो सकता है। व्यापारी वर्ग को धन निवेश से हानि उठानी पड़ सकती है, भाई बहनों में एवं परिजनों से वाद-विवाद होने की आशंका, गृह क्लेश परेशान करेंगे और यात्रा में कष्ट हो सकता है।
अन्य प्रभाव
गुरु के इस काल खंड में संसदीय लोकतंत्र को भी धक्का लग सकता है। कुछ राज्यों में गठबंधन की राजनीति के दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं जिनके चलते सरकारें अस्थिर भी हो सकती हैं। साथ ही साथ दलबदल की घटनाओं में वृद्धि होगी और राजनीति में धनबल एवं भुजबल का पुनः जोर दिखाई दे सकता है
। धार्मिक एवं सांस्कृतिक मामलों में गुरु का कर्क राशि में भ्रमण करना शुभ फलदायक कहा जा सकता है। धार्मिक स्थलों में कार्यों की विकास की योजनाएं बनेंगी, धर्म के प्रति आस्था और बढ़ेगी।