Motivational Story: ईमानदारी से हासिल करें ऊंचा मुकाम, पढ़ें जीवन बदल देने वाली यह प्रेरक कथा
Motivational Story आपकी ईमानदारी अनमोल है जो आपको एक ऊंचा मुकाम दिला सकती है। जागरण अध्यात्म में पढ़ें एक ईमानदार बच्चे की प्रेरक कथा जिसमें वह अचानक राजा का उत्तराधिकारी बन जाता है। ईमानदारी का गुण सभी लोगों में नहीं होता है।
Motivational Story: ईमानदारी का गुण सभी लोगों में नहीं होता है, हालांकि हर व्यक्ति इस गुण को पा सकता है। आवश्यकता होती है उसे अपने अतर्मन की आवाज को सुनने की। कई बार आपने लोगों को कहते सुना होगा कि ईमानदार होने के कारण तरक्की नहीं हो रही है, लेकिन यह गलत है। आपकी ईमानदारी अनमोल है, जो आपको एक ऊंचा मुकाम दिला सकती है। जागरण अध्यात्म में पढ़ें एक ईमानदार बच्चे की प्रेरक कथा, जिसमें वह अचानक राजा का उत्तराधिकारी बन जाता है।
प्रेरक कथा
काफी वर्षों पहले की बात है प्रतापगढ़ नाम का एक राज्य था। वहां का राजा बहुत नेक दिल और प्रजापालक था। राजा का महल धन-धान्य से भरा और वैभवशाली था, परंतु राजा को एक सुख की कमी थी। वह यह कि उन्हें संतान सुख नहीं था। उसे चिंता थी कि उसके बाद इस गद्दी पर कौन बैठेगा। काफी सोच विचार के बाद वह राज्य के किसी योग्य बच्चे को अपना उत्तराधिकारी बनाने के लिए गोद लेना चाहता था। जो आगे चलकर राज्य की बागडोर को सुचारू रूप से चला सके। इसी को देखते हुए राजा ने राज्य में घोषणा करवा दी कि सभी बच्चे राजमहल में एकत्रित हो जाएं। तय दिन पर ऐसा ही हुआ।
राजा ने अपना योग्य उत्तराधिकारी चुनने के लिए एक उपाय सोची। उन्होंने बच्चों को पौधे लगाने के लिए अलग-अलग तरह के बीज दिए और कहा कि अब हम 6 महीने बाद मिलेंगे और देखेंगे कि किसका पौधा सबसे अच्छा है। महीना बीत जाने के बाद भी एक बच्चे के गमले में बीज अभी तक नही फूटा था, लेकिन वह रोज उस पौधे की देखभाल करता था। देखते ही देखते 3 महीने बीत गए और अभी तक बीज नहीं फूटा, तो बच्चा परेशान हो गया। बच्चे को परेशान देखकर उसकी मां ने कहा कि बेटा धैर्य रखो, कुछ बीजों को फलने में ज्यादा वक्त लगता है। मां की बात सुनकर वह बच्चा पौधे को बराबर सींचता रहा।
6 महीने बाद भी उस बच्चे के गमले में पौधे नहीं आए। अब समय आ गया था राजा के दरबार में उपस्थित होने का। सभी बच्चे राजमहल पहुंच गए। राजा ने आदेश दिया और सभी बच्चे अपने गमले दिखाने लगे। सभी बच्चे खुश थे। अब उस बच्चे की बारी आई, जिसके गमले में पौधा नहीं आया था। राजा ने उस बच्चे से पूछा कि तुम्हारा गमला खाली क्यों है? बच्चे ने जवाब दिया कि उसने गमले की 6 महीने तक देखभाल की है। फिर भी पौधे नहीं निकले। राजा मुस्कुराए। वे उस बच्चे की ईमानदारी से बहुत खुश थे। उन्होंने उस बच्चे के साहस की सराहना की। उन्होंने कहा कि तुम साहसी हो, जो खली गमला लेकर आए क्योंकि तुम ईमानदार हो। उस राजा ने उस बच्चे को ही अपना उत्तराधिकारी बनाया।
कथा का सार
हमें इस कहानी से सीख मिलती है कि परिस्थिति कैसी भी क्यों न हो, सदैव ईमानदारी का रास्ता अपनाना चाहिये। आपकी ईमानदारी ही आपकी पहचान है, जो आपको दूसरों से अलग करती है।