जनकपुर के लिए रवाना हुई राम बरात, शामिल हुए 150 श्रद्धालु
युगों पूर्व त्रेता में भगवान राम एवं मां सीता के विवाह की स्मृति में पूर्वान्ह कारसेवक पुरम से जनकपुर के लिए राम बरात रवाना हुई। विहिप के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंहल एवं रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास ने आरती उतारकर बरात विदा की। इस मौके पर बड़ी संख्या में
अयोध्या। युगों पूर्व त्रेता में भगवान राम एवं मां सीता के विवाह की स्मृति में पूर्वान्ह कारसेवक पुरम से जनकपुर के लिए राम बरात रवाना हुई। विहिप के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अशोक सिंहल एवं रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास ने आरती उतारकर बरात विदा की। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग शामिल रहे।
दिगंबर अखाड़ा के महंत सुरेशदास, अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास, महंत सियाकिशोरीशरण, महंत कौशलकिशोरदास, डॉ. रामेश्वरदास, महंत गंगादास, रामअवतारदास रामायणी सहित विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जीवेश्वर मिश्र, धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी, विहिप के केंद्रीय मंत्री राजेंद्र सिंह पंकज, धर्मयात्र महासंघ के सचिव सुनील शर्मा एवं विहिप के प्रदेश संगठन मंत्री रासबिहारी के नेतृत्व में कोई डेढ़ सौ साधु-संत एवं श्रद्धालु करीब एक दर्जन मिनी बसों एवं कुछ अन्य कारों एवं जीपों पर सवार होकर रवाना हुए। बरात में तीन रथ भी शामिल किए गए है, जिनमें से दो पर भगवान के विग्रह एवं एक पर भगवान के स्वरूप को बैठाया गया है। बरात के जगह-जगह स्वागत की तैयारी है।
अयोध्या से करीब 35 किलोमीटर के फासले पर अपराह्न गोसाईंगंज कस्बा पहुंचने पर घंटे-घडिय़ाल एवं जयश्रीराम के नारों के बीच बरातियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। बरात के स्वागत में जगह-जगह तोरणद्वार बनाए गए थे। बरातियों को जलपान भी कराया गया।
आजमगढ़, मऊ, आरा, पटना, मुजफ्फरपुर आदि स्थानों से होती हुई बरात 24 नवंबर की शाम जनकपुर पहुंचेगी। अगले दिन यानी 25 नवंबर को जानकी मंदिर में भगवान राम का तिलकोत्सव एवं 27 नवंबर को विवाह की रस्म प्रस्तावित है। तिलकोत्सव के दिन जानकी मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी मौजूद रहने की खबर है। दक्षेस सम्मेलन में शिरकत करने काठमांडू पहुंचने से पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री जनकपुर स्थित पवित्र पीठ पर श्रद्धा निवेदित करेंगे। हालांकि उनकी मौजूदगी को लेकर विहिप के खेमे में उत्साह है। मीडिया से मुखातिब अशोक सिंहल ने कहा कि इस आयोजन में भारतीय प्रधानमंत्री की मौजूदगी बहुत ही शुभ संयोग है। मोदी की जानकी मंदिर में मौजूदगी विहिप के कार्यक्रम के अनुरूप न होकर पहले से ही तय भारत सरकार के कार्यक्रम के हिसाब से है।
बरात की वापसी के साथ अनुप्राणित होगा राम मंदिर- जनकपुर के लिए रवाना हुई रामबरात जब अयोध्या वापस लौटेगी तो उसके साथ प्रतीकात्मक रूप से ही सही मां सीता भी होंगी। आद्या शक्ति की अनंत ऊर्जा से राम मंदिर का विषय अनुप्राणित हो, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। यह उम्मीद जताई विहिप के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक अयाोक सिंहल ने। वे रामबरात रवाना करने से पूर्व मीडिया से मुखातिब थे। निकट भविष्य में राम मंदिर के साथ कृष्णजन्मभूमि एवं काशी विश्वनाथ की मुक्ति का आग्रह भी उन्होंने मुखर किया एवं कहा कि देश के मुसलमानों को चाहिए कि यह तीनों स्थल हिंदुओं को सौंप दें। इस पहल से देश के दोनों समुदायों की अपूर्व उन्नति होगी और दोनों समुदाय प्रेम पूर्वक रहेंगे।
मजिस्ट्रेटों की निगरानी में निकलेंगी राम बरातें- राम बरात मजिस्ट्रेटों की निगरानी में निकाली जाएंगी। जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने राम बरात में शांति व्यवस्था के मद्देनजर 11 मजिस्ट्रेट तैनात किए हैं। भदरसा में भी भव्य राम बारात निकाली जाती है। वहां पर मुख्य राजस्व अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ल को तैनात किया गया है। राम बरात 27 नवंबर को निकाली जाएगी। अयोध्या की प्रमुख राम बरातें जानकी महल, दिव्य कला, कनक भवन, बड़ा स्थान, भगवताचार्य स्मारक सदन, राम सखी मंदिर, रंग महल, रुदौली मंदिर, रंग वाटिका मंदिर व माधुरी कुंज से निकाली जाती हैं। राम बरात को देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ जुटती है।
रामजन्मभूमि का मुद्दा पुन: तूल पकड़ेगा। यह परिदृश्य रामबरात की रवानगी से रेखांकित हुआ। रामबरात के लिए ताकत झोंककर विहिप नेतृत्व लोगों के बीच विश्वास दृढ़ करना चाह रहा है और इसी के साथ ही मंदिर मुद्दे की अहमियत को भी वह परखना चाहता है। बरात के दौरान तीन दर्जन से अधिक स्थलों पर सभाएं प्रस्तावित हैं, जिनमें भगवान राम और उनके विवाह की मार्मिकता के साथ रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण एवं हिंदुओं के अन्य आयामों का प्रतिपादन होगा। अशोक सिंहल ने भी इशारों में यह साफ कर दिया बरात वापस आने के साथ राम मंदिर ओदोलन में उफान पैदा हो सकता है। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास, अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष महंत कन्हैयादास आदि के साथ अनौपचारिक बातचीत में भी सिहंल ने मंदिर के सवाल पर अनुकूल मानी जाने वाली केंद्र की मोदी सरकार को अब और समय देने से इंकार किया। हालांकि संतों का यह सुझाव था कि राज्यसभा में बहुमत की स्थिति न होने तक मोदी सरकार को समय दिया जाय।
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के अनुसार मंदिर समर्थकों की मोदी से अपेक्षा वाजिब है, मंदिर समर्थकों ने मोदी को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी और अब यह मोदी की जिम्मेदारी है कि जल्द से जल्द मंदिर निर्माण की बाधा दूर करें। हालांकि इस आग्रह के साथ विहिप सजग है कि उसकी पहल से मोदी की कोई दिक्कत न बढ़े, हां जनता के बीच यह संदेश जरूर जाय कि विहप मंदिर को लेकर किसी गफलत में नहीं पडऩे वाली है।