Move to Jagran APP

राम विवाह: इधर खड़े तो घराती, उधर बढ़े तो बराती

देवाधिदेव महादेव और प्रभु राम दोनों भजते एक दूजे का नाम। हर कार्य से पहले एक दूसरे की आराधना। धर्मग्रंथ ऐसे प्रसंगों से भरे पड़े हैं, काशी वासी भी इस अपनापे को हृदय में युगों से समेटे खड़े हैं। रामनवमी पर जन्म के सोहर गाते तो सियाराम विवाह का मौका भले कैसे चूक जाते। इधर खड़े तो घराती और उधर बढ़े तो बराती बन जात

By Edited By: Published: Sat, 07 Dec 2013 12:37 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2013 12:54 PM (IST)
राम विवाह: इधर खड़े तो घराती, उधर बढ़े तो बराती

वाराणसी। देवाधिदेव महादेव और प्रभु राम दोनों भजते एक दूजे का नाम। हर कार्य से पहले एक दूसरे की आराधना। धर्मग्रंथ ऐसे प्रसंगों से भरे पड़े हैं, काशी वासी भी इस अपनापे को हृदय में युगों से समेटे खड़े हैं। रामनवमी पर जन्म के सोहर गाते तो सियाराम विवाह का मौका भले कैसे चूक जाते। इधर खड़े तो घराती और उधर बढ़े तो बराती बन जाते। कुछ ऐसे ही अंदाज में काशीवासी वर व वधू पक्ष दोनों की भूमिका निभाएंगे। शुक्रवार को रामजानकी मठ का दृश्य, तैयारियों में महंत राजकुमार दास को छूट रहे पसीने, मटकोर की रस्में निभाई जा रहीं अब शनिवार की शाम घर बरात जो आनी है। व्यवस्थापक बाबा रामलोचन दास की हांक कपड़े सिल कर आए कि नहीं, कल ही बरात जानी है। हर मठ मंदिरों में यही कहानी, पल में मिथिला तो पल में रघुकुल की राजधानी।

prime article banner

व्यस्तता भी आमतौर पर घर -घर में विवाह के मौके पर जानी पहचानी। अंतर बस इतना कि मानो इनमें बेटा और बिटिया दोनों का विवाह हो। श्रीगणेश हो चुका है, जिन सुहागिनों ने बड़े भाव से सिया को गौरी पूजन कराया वही परिछन कर बड़े दुलार से भइया राम को ससुराल पठाएंगी।

बरात को सिवान तक पहुंचाएंगी तो खुद द्वारचार के गीत भी गाएंगी। यही नहीं बिटिया के ब्याह के लिए मड़वे का बांस गाड़ने वाले ही हाथ बैंड पर थिरकते बरात में होंगे। अपने हाथों दूल्हे का सेहरा सजाएंगे और खुद ही भांवर की रस्में निभाएंगे। बरातियों की अगवानी में यही कहानी दोहराएंगे तो खिचड़ी खवाई में उपहार के लिए रूठ जाएंगे। इस बहाने ही राम लीला के सहभागी होंगे और प्रभु के साथ होने के अहसास से धन्य हो जाएंगे। मटकोर के साथ छाया उत्सवी रंग-रामजानकी मठ में शुक्रवार को मटकोर (मटमंगरा) के साथ तीन दिनी सीताराम विवाहोत्सव का श्रीगणोश किया गया। मठ में मिथिला सा नजारा, साज श्रृंगार के साथ महिलाओं ने मंगल गीत गाए। सिया स्वरूप को साथ लेकर गंगा तट पहुंचीं और गौरी पूजन कराया।

मठ में पूजन अर्चन किया और पुष्प बरसाए। संत महंतों के सानिध्य में बटुकों ने वेद मंत्रों का पाठ कराया। इसके साथ ही मंड़वा गाड़ने की रस्में भी पूरी कराई।

आज बरात, कल रामकलेवा-खोजवा स्थिति राम मंदिर से शुक्रवार को दोपहर 12 बजे और रामजानकी मठ अस्सी से तीन बजे बरात निकलेगी। विधि विधान से रात भर विवाह की रस्में निभाई जाएंगी। रामकलेवा से उत्सव का समापन होगा।

विभोर कर जाएगी कोहबर की झांकी- रामनगर स्थित जनकपुर मंदिर में कोहबर की झांकी की अनूठी छटा निखरेगी। शाम पांच बजे रघुकुल नंदन को गार्ड आफ आनर और आरती उतारी जाएगी। रात नौ बजे तक झांकी दर्शन का क्रम चलेगा।

भजनों से सजेगा सात दिनी उत्सव- संकटमोचन मंदिर में सुबह आठ बजे से ही विवाहोत्सव चरम पर होगा। मानस नवाह्न पाठ यज्ञ और शाम पांच बजे से मानस सम्मेलन। क्रम 15 तक चलेगा और 16, 17 को शाम छह बजे से भजन गूंजेंगे।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.