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बढ़ रहा रामलला का 'बैंक बैलेंस'

विवादित परिसर में विराजमान रामलला को सिर पर छत भले ही मयस्सर न हो पा रही हो लेकिन उनकी माली हालत दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही है। उनकी आमदनी में प्रति वर्ष बढ़त दर्ज की जा रही। इस समय उनके नाम तीन करोड़ रुपये से ज्यादा के फिक्स डिपॉजिट है। विवादित परिसर स्थित मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर (अस्थाई मंदिर) में विराजमान रामलला पर

By Edited By: Published: Wed, 15 May 2013 03:33 PM (IST)Updated: Wed, 15 May 2013 03:42 PM (IST)
बढ़ रहा रामलला का 'बैंक बैलेंस'

अयोध्या। विवादित परिसर में विराजमान रामलला को सिर पर छत भले ही मयस्सर न हो पा रही हो लेकिन उनकी माली हालत दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही है। उनकी आमदनी में प्रति वर्ष बढ़त दर्ज की जा रही। इस समय उनके नाम तीन करोड़ रुपये से ज्यादा के फिक्स डिपॉजिट है।

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विवादित परिसर स्थित मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर (अस्थाई मंदिर) में विराजमान रामलला पर चढ़ावे के रूप में आने वाली राशि शुरुआत में भारतीय स्टेट बैंक में उनके नाम जमा की जाती थी। इसी राशि से उनके पूजा-भोग, पुजारियों व अन्य सेवकों के पारिश्रमिक की व्यवस्था भी की जाती है।

वर्ष 1995 में हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद से यह राशि स्पेशल टर्म डिपाजिट स्कीम के तहत 'फिक्स' की जाने लगी। बैंक व अन्य सूत्रों पर भरोसा करें तो अब तक दो करोड़ 70 लाख, पांच हजार, 646 रुपये की धनराशि रामलला के नाम विशेष सावधि जमा योजनाओं में निवेश की जा चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक 27 लाख से ज्यादा की राशि तो सिर्फ ब्याज के रूप में रामलला को प्राप्त हो चुकी है।

'दैनिक जागरण' के पास उपलब्ध 2005-06 से 2012-13 तक के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 2005-06 में सात लाख, 2006-07 में 12 लाख 50 हजार, 2007-08 में 12,25000, 2008-09 में 15 लाख 50 हजार, 2009-10 में 16 लाख, 50 हजार, 2010-11 में 25 लाख, 2011-12 में 35 लाख और 2012-13 में 67 लाख की धनराशि विशेष सावधि जमा योजनाओं में रामलला के नाम जमा की गई।

1994 में रामलला के निकटतम मित्र के रूप में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति देवकीनंदन अग्रवाल ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में रिट याचिका दायर कर मांग की थी कि रामलला के चढ़ावे का उपयोग अन्यत्र न किया जाय। उस समय तक इसी राशि से कतिपय अन्य अधिग्रहीत मंदिरों में पूजा-भोग व परिसर की कुछ अन्य व्यवस्थाएं संचालित की जा रही थीं। इसी याचिका पर 25 मई 1995 को हाईकोर्ट ने परिसर के 'रिसीवर' मंडलायुक्त फैजाबाद को निर्देशित किया था कि रामलला का चढ़ावा सिर्फ उन्हीं पर खर्च किया जाय और बाकी राशि लाभदायी योजनाओं में निवेश की जाय। तभी से यह सिलसिला जारी है।

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