पांच मिनट में इन 5 चीजों से घर में बनाएं वैदिक राखी
बाजार वाली राखी न खरीदकर आप घर पर पांच मिनट में वैदिक राखी तैयार कर सकती हैं।
कैसे बनायें वैदिक रक्षासूत्र :
वैदिक राखी बनाने के लिये आपको किसी ऐसी दुर्लभ चीज की आवश्यकता नहीं है जिसे प्राप्त करना आपके लिये कठिन हो। इसके लिये बहुत ही सरल लगभग घर में इस्तेमाल होने वाली चीज़ो की ही आवश्यकता होती है। वैदिक राखी के लिए पांच चीजों की जरूरत होती है।
1. दूर्वा (घास) :
वैदिक राखी के लिये दुर्वा यानि कि दूब की आवश्यकता पड़ती है। यह घास की तरह होती है। दूब भगवान गणेश को काफी पसंद है। गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। ऐसे में दूब से बनी राखी आपके भाई के सारे कष्ट दूर कर देगी।
2. चावल :
किसी भी पूजा-पाठ में चावल का महत्व अधिक होता है। ऐसे में वैदिक राखी बनाने के लिए अक्षत (चावल) की आवश्यकता होती है।
3. चन्दन :
चन्दन की प्रकृति शीतल होती है और यह सुगंध देता है। उसी प्रकार उनके जीवन में शीतलता बनी रहे, कभी मानसिक तनाव ना हो। साथ ही उनके जीवन में परोपकार, सदाचार और संयम की सुगंध फैलती रहे।
4. केसर :
केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात हम जिसे राखी बांध रहे हैं, वह तेजस्वी हो। उनके जीवन में आध्यात्मिकता का तेज, भक्ति का तेज कभी कम ना हो।
5. सरसों के दाने :
सरसो के दाने भाई की नजर उतारने और बुरी नजर से भाई को बचाने के काम आते हैं।
दुर्वा, चावल, केसर, चंदन, सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रंग के रेशमी कपड़े में बांध लें यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, कोड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेट कर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जायेगी।
वैदिक राखी का महत्व :
वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि सावन के मौसम में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाये तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचरण भी करता है।
वैदिक राखी बांधने का मंत्र :
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबद्धनामि रक्षे मा चल मा चल।।
इस मंत्र का अभिप्राय है कि जिस रक्षासूत्र से महाबली, महादानी राजा बली को बांधा गया था उसी से मैं तुम्हें बांध रहा/रही हूं। हे रक्षासूत्र आप चलायमान न हों यही पर स्थिर रहें। इस रक्षासूत्र को पुरोहित द्वारा राजा को, ब्राह्मण द्वारा यजमान को, बहन द्वारा भाई को, माता द्वारा पुत्र को तथा पत्नी द्वारा पति को दाहिनी कलाई पर बांधा जा सकता है।