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Pradosh Vrat 2021: बुध प्रदोष व्रत की पूजा करते समय जरुर पढ़ें यह व्रत कथा, बनी रहेगी भोलेनाथ की कृपा

Pradosh Vrat Katha बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक पुरुष था जिसका नया-नया विवाह हुआ था। विवाह के उपरांत ही 2 दिन बाद उसकी पत्नी अपने मायके चली गई। जब कुछ दिन बीत गए तो उसकी पत्नी को लेने के लिए वो अपने ससुराल पहुंच गया।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Wed, 10 Mar 2021 07:30 AM (IST)Updated: Wed, 10 Mar 2021 09:16 AM (IST)
Pradosh Vrat 2021: बुध प्रदोष व्रत की पूजा करते समय जरुर पढ़ें यह व्रत कथा, बनी रहेगी भोलेनाथ की कृपा
Pradosh Vrat 2021: बुध प्रदोष व्रत की पूजा करते समय जरुर पढ़ें यह व्रत कथा, बनी रहेगी भोलेनाथ की कृपा

Pradosh Vrat Katha: बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, एक पुरुष था जिसका नया-नया विवाह हुआ था। विवाह के उपरांत ही 2 दिन बाद उसकी पत्नी अपने मायके चली गई। जब कुछ दिन बीत गए तो उसकी पत्नी को लेने के लिए वो अपने ससुराल पहुंच गया। फिर बुधवार के दिन जब वो अपनी पत्नी के साथ वापस लौटने लगा तो उसके ससुराल वालों ने उसे रोकने की बेहद कोशिश की। उन्होंने कहा कि बुधवार का दिन विदाई के लिए शुभ नहीं होता है। लेकिन वो नहीं माना और पत्नी को लेकर चल पड़ा।

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जैसे ही दोनों पति-पत्नी नगर के बाहर पहुंचे तो उसकी पत्नी को प्यास लगी। उसका पति पानी की तलाश में निकल गया। उसकी पत्नी पेड़ के नीचे बैठी रही। फिर कुछ देर बाद वो पानी लेकर वापस आया तो उसने देखा कि उसकी पत्नी हंस-हंसकर किसी से बातें कर रही थी। उसकी पत्नी उस दूसरे व्यक्ति के लोटे से पानी पी रही थी। यह देख वह बेहद क्रोधित हो गया।

जब वह अपनी पत्नी के पास पहुंचा तो वह बेहद आश्चर्यचकित रह गया। जिस आदमी के साथ उसकी पत्नी बैठी थी उसकी शक्ल एकदम उसके जैसी ही थी। इसे देख उसकी पत्नी भी सोच में पड़ गई। दोनों ही पुरुष एक साथ लड़ने लगे। उनका झगड़ा देख भीड़ इकट्ठी हो गई और सिपाही भी आ गए।

एक जैसी शक्ल के लोगों को देख सभी असमंजस में थे। उन्होंने स्त्री से पूछा ‘उसका पति कौन है?’ वह कर्तव्यविमूढ़ हो गई। उस व्यक्ति ने भगवान शिव से प्रार्थना की, ‘हे भगवान! हमारी रक्षा करें। मुझसे बड़ी भूल हुई। मैंने अपने ससुराल वालों की बात नहीं मानी। मैंने गलती कि की मैंने बुधवार कि दिन अपनी पत्नी की विदाई कराई। आगे से मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा। जैसे ही उस व्यक्ति की प्रार्थना पूरी हुई तो वह दूसरा पुरुण अंतर्ध्यान हो गया। इसके बाद दोनों पति-पत्नी सकुशल अपने घर पहुंच गए। इसके बाद से दोनों पति-पत्नी पूरे विधि-विधान के साथ त्रयोदशी प्रदोष का व्रत करने लगे।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


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