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Pradosh Vrat Katha: आज रवि प्रदोष व्रत के दिन अवश्य पढ़ें यह व्रत कथा

Pradosh Vrat Katha आज प्रदोष व्रत है। आज के दिन भगवान शिव शंकर की पूजा की जाती है। आज के दिन पूजा करते समय व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। आइए पढ़ते हैं व्रत कथा। एक नगर था जिसमें तीन दोस्त रहते थे...

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Sun, 27 Dec 2020 07:55 AM (IST)Updated: Sun, 27 Dec 2020 07:55 AM (IST)
Pradosh Vrat Katha: आज रवि प्रदोष व्रत के दिन अवश्य पढ़ें यह व्रत कथा
Pradosh Vrat Katha: आज रवि प्रदोष व्रत के दिन अवश्य पढ़ें यह व्रत कथा

Pradosh Vrat Katha: आज प्रदोष व्रत है। आज के दिन भगवान शिव शंकर की पूजा की जाती है। आज के दिन पूजा करते समय व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए। आइए पढ़ते हैं व्रत कथा।

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एक नगर था जिसमें तीन दोस्त रहते थे। इन तीनों में राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और धनिक पुत्र था। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे। वहीं, धनिक पुत्र का विवाह भी हाल ही में हुआ था। लेकिन धनिक पुत्र की पत्नी का गौना नहीं हुआ था। एक दिन तीनों मित्र बैठकर अपनी-अपनी स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। जहां ब्राह्मण कुमार ने अपनी स्त्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिना नारी घर भूतों का डेरा होता है।

धनिक पुत्र ने जब यह बात सुनी तो उसे तुरंत अपनी पत्नी का गौना कराने का निश्चय किया। वह उसे घर लाना चाहता था। इस पर धनिक पुत्र के अपने माता-पिता से कहा लेकिन उसके माता-पिता ने धनिक पुत्र को समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं, ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता। लेकिन वो अपनी जिद्द पर अड़ा रहा। वह अपनी पत्नी को लेने के लिए ससुराल पहुंच गया।

ससुराल में भी धनिक पुत्र को मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो नहीं माना। उसकी जिद्द के आगे झुककर लड़की के माता-पिता को गौना करना पड़ा। विदाई के बाद दोनों पति-पत्‍नी शहर से निकल गए। कुछ ही दूर पहुंचकर उनकी बैलगाड़ी का पहिया निकल गया। फिर बैल की टांग टूट गई। दोनों को काफी चोट भी लगी।

फिर कुछ दूर जाने के बाद उसे डाकुओं ने पकड़ लिया। वे सभी कुछ लूटकर ले गए। वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया। वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा। यह सुन सभी परेशान हो गए। जब यह खबर ब्राह्मण कुमार को मिली तो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। साथ ही उसकी पत्नी को ससुराल भेजने की सलाह भी दी। धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और अपनी पत्नी के साथ ससुराल पहुंच गया। यहां उसकी हालत ठीक होती गई। यानि प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट दूर हो गए।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '  


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