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उत्साह के साथ मनाया गया पोंगल

फसल कटने पर मनाया जाने वाला पर्व पोंगल राजधानी में उत्साह के साथ मनाया गया। लोगों ने स्नान कर नए वस्त्र पहने और मंदिरों में पूजा-अर्चना की। लोगों ने खेती में काम आने वाले पशुओं, वर्षा व सूर्य को धन्यवाद दिया। चावल, गुड़ और चने से पारंपरिक ढंग से बने पकवानों का आनंद लिया। मसालों से बने चकाराई पोंगल को जैसे ही दूध

By Edited By: Published: Wed, 15 Jan 2014 11:51 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jan 2014 12:08 PM (IST)
उत्साह के साथ मनाया गया पोंगल

नई दिल्ली। फसल कटने पर मनाया जाने वाला पर्व पोंगल राजधानी में उत्साह के साथ मनाया गया। लोगों ने स्नान कर नए वस्त्र पहने और मंदिरों में पूजा-अर्चना की। लोगों ने खेती में काम आने वाले पशुओं, वर्षा व सूर्य को धन्यवाद दिया।

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चावल, गुड़ और चने से पारंपरिक ढंग से बने पकवानों का आनंद लिया। मसालों से बने चकाराई पोंगल को जैसे ही दूध में उबाला गया, लोग पोंगोलो पोंगल, पोंगोलो पोंगल कहने लगे। पोंगल पकवान सूर्य देवता को धन्यवाद देते हुए अर्पित किया गया। लोगों ने इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया और एक-दूसरे को बधाई दी।

धूमधाम से मना पोंगल-

जनकपुरी, द्वारका, उत्तम नगर समेत विभिन्न स्थानों पर पोंगल मनाया गया। भारत की सांस्कृतिक विविधता की प्रतीक राजधानी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में पोंगल त्योहार उत्साहपूर्वक मनाया गया। पश्चिमी दिल्ली के उन हिस्सों में जहां तमिल राज्य से आए लोग रहते हैं वहां पोंगल पर काफी उत्साह देखा गया।

द्वारका, जनकपुरी, बिंदापुर, विजय एंक्लेव, हस्तसाल समेत अनेक इलाकों में तमिल लोगों ने पोंगल त्योहार परंपरा के साथ मनाया। अन्य दिनों की अपेक्षा लोग सुबह जल्दी उठे। लोगों ने स्नान कर पारंपरिक परिधान पहनकर पूजा अर्चना की। लोगों ने घर में सूर्य भगवान की पूजा कर उनका आर्शीवाद लिया। इस दिन पूजा में गन्ने की डाली का इस्तेमाल किया जाता है। घरों के मुख्य दरवाजे के बाहर व कमरों में आकर्षक रंगोली बनाई गई थी। तमिल भाषा में इन्हें कोलम कहा जाता है।

द्वारका स्थित कैराली अपार्टमेंट में रहने वाली जया ने बताया कि इस दिन विशेष व्यंजन तैयार किया जाता है। इस व्यंजन में मिट्टी के बर्तन में चावल और दूध मिलाकर विशेष खीर तैयार किया जाता है। इस खीर में गुड़ डाला जाता है। इसके अलावा जिस बर्तन में यह खीर तैयार होता है उसमें हल्दी के पौधे को बांध दिया जाता है। यह व्यंजन सूर्य भगवान को समर्पित किया जाता है। इस प्रसाद को केले के पत्ते पर परोसने का रिवाज है। हस्तसाल निवासी वृंदा ने बताया कि पोंगल चार दिवसीय त्योहार है। इस दौरान कई जगह सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

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