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विष्णु के चरणों पर प्रतिदिन चढ़ती क्विंटल तुलसी

विष्णुपद मंदिर में स्थापित भगवान श्रीविष्णु जी के चरणों का प्रतिदिन विशेष रूप से श्रृंगार होता है। भगवान का यह श्रृंगार तुलसी से होता है। श्रृंगार और पूजा अर्चना में प्रतिदिन पितृपक्ष मेला में एक क्विंटल तुलसी की खपत होती है। जिसके लिए गया शहर के आसपास से भी तुलसी मंगाई जाती है। ऐसे तो सनातन धर्म के पूजा में तुलस

By Edited By: Published: Thu, 26 Sep 2013 06:24 AM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2013 06:56 AM (IST)
विष्णु के चरणों पर प्रतिदिन चढ़ती क्विंटल तुलसी

गया, नगर प्रतिनिधि। विष्णुपद मंदिर में स्थापित भगवान श्रीविष्णु जी के चरणों का प्रतिदिन विशेष रूप से श्रृंगार होता है। भगवान का यह श्रृंगार तुलसी से होता है। श्रृंगार और पूजा अर्चना में प्रतिदिन पितृपक्ष मेला में एक क्विंटल तुलसी की खपत होती है। जिसके लिए गया शहर के आसपास से भी तुलसी मंगाई जाती है।

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ऐसे तो सनातन धर्म के पूजा में तुलसी का विशेष महत्व है। तुलसी के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। इस कारण मेले में आने वाले पिंडदानी विशेष श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु के चरणों पर तुलसी चढ़ाते हैं। तब उनकी पूजा पूरी मानी जाती है। इन दिनों पितृपक्ष मेला में तुलसी की खपत सबसे अधिक है।

कहां से आती है तुलसी

गर्मी के मौसम में गया शहर के आस-पास इलाकों में तुलसी की उत्पादन होती है। लेकिन सर्दी का मौसम होता है, तो पश्चिम बंगाल से तुलसी पूजा के निमित मंगाई जाती है। जानकार बताते है कि शहर के तुलसी बाग, लखनपुरा, दंडीबाग, घुघरीटांड एवं भदेजा जैसे जगहों पर कई एकड़ भूमि पर तुलसी का उत्पादन किया जाता है। इन क्षेत्रों के मालाकार व किसान तुलसी का अच्छा व्यवसाय करते हैं। जिसमें 50 प्रतिशत की आमदनी होने का अनुमान है। कहने का मतलब इन क्षेत्रों के किसान 50 रुपये किलो तुलसी मालाकार को देते हैं। वहीं माला-फूल और तुलसी बचने वाले दुकानदार 100 रुपये किलो तुलसी बेचते हैं। इस तरह 50 प्रतिशत की आमदनी तुलसी विक्रेता को होती है।

क्या कहते हैं दुकानदार

विष्णुपद मंदिर के ठीक सामने ललन मालाकार कहते है कि पितृपक्ष मेला में तुलसी की खपत अधिक होती है। परिसर में कुल 11 दुकानें संचालित है। जहां से तुलसी की बिक्री होती है। इस तरह प्रतिदिन 1 क्विंटल तुलसी की खपत होती है। तुलसी का उपयोग भगवान श्रीविष्णु जी की संध्या वेला में श्रृंगार में होता है। वे बताते है कि कई ऐसे मारवाड़ी आते हैं वे अकेले 50 से 60 किलो तुलसी खरीदकर भगवान श्रीविष्णु का श्रृंगार कराते हैं। पूजा करने की अपनी-अपनी श्रद्धा है। अभी वर्तमान समय में 100 रुपये प्रति किलो बिक रही है।

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