करें एक ऐसा काम जिसके जरिए कई पीढ़ियों तक याद रहेंगे आपके पूर्वज
15 दिन श्राद्ध रहते हैं हम हमारे पूर्वजों को याद कर देते हैं और फिर साल के बाकि दिन भुला देते हैं। क्या कुछ ऐसा किया जा सकता है कि न सिर्फ हमारे रहते उनकी यादगार रहे बल्कि...
15 दिन श्राद्ध रहते हैं, हम हमारे पूर्वजों को याद कर देते हैं, और फिर साल के बाकि दिन भुला देते हैं। क्या कुछ ऐसा किया जा सकता है, कि न सिर्फ हमारे रहते उनकी यादगार रहे, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी उन्हें याद करें। जी हां हो सकता है। अपने पूर्वजों के नाम पेड़ लगाएं, उन्हें संरक्षित करें और कई सौ सालों तक आने वीली पीढ़ियों को उनका आशीर्वाद दिलाते रहें। हिन्दू मान्यता के अनुसार अभी देश में पितृपक्ष चल रहा है। इन पन्द्रह दिनों में परिवार के दिवंगत लोगों को याद में श्राद्ध कर तर्पण किया जाता है एवं ब्राह्मणों को भोजन करवाकर कागवास डाला जाता है। ज्योतिषाचार्या साक्षी शर्मा के अनुसार अपने दिवंगत प्रियजनों के नाम से पितृपक्ष में यदि निम्न पौधे लगाए जाएं तो उनकी कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है।
पीपल:
पीपल का पौधा शास्त्रों के अनुसार अनेक ग्रहों का उपचार है। इसे लगाने से हमारे पितरों को शांति मिलती है। जिस दिन आपके किसी दिवंगत प्रियजन का श्राद्ध हो उस दिन किसी वीरान जगह पर एक या एक से अधिक पीपल के वृक्ष लगाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
नीम:
नीम का पौधा कहीं भी लगाया जा सकता है। इसे लगाने से आपके पित्र प्रसन्न होते है। नीम अनेक गुणकारी है भविष्य में जब ये पौधा वृक्ष बनकर वातावरण को शुद्ध बनाएगा तो आपको पितरों का आशीर्वाद मिलेगा।
केला:
केले के पौधे का संबंध गुरु ग्रह के साथ होता है, यह पौधा हमारे पितरों से जुड़े किसी भी ऋण को समाप्त करता है। यदि आपके घर के आस पास पहले से केले का वृक्ष है तो आप उसे सींच भी सकते है।
कुशा:
कुशा का संबंध हमारे पूर्वजों से है। इसी वजह से तर्पण के समय कुशा को हाथ में लेकर ही तर्पण किया जाता है। कुशा का पौधा लगाने से पितरों को सद्गति मिलती है जिससे वो प्रसन्न होकर आशीष देकर अपने धाम पधारते है।
आंवला:
श्रीहरि विष्णु के थूक से बना पौधा आंवला है। इसकी पूजा का महत्व हिन्दू धर्म में बहुत अधिक है। आंवले के पौधे को पित्र पक्ष में लगाने से पितरों को खुशी मिलती है। विष्णु भगवान के आशीर्वाद से उनकी मुक्ति का मार्ग प्रसस्त होता है।