पितरों की आत्मशांति को सामूहिक पितृ तर्पण
भाद्र पक्ष की पूर्णिमा यानि बृहस्पतिवार से पितृपक्ष आरंभ हो गया। पहले दिन मथुरा में स्वामीघाट और वृंदावन के केसीघाट पर सामूहिक पितृ तर्पण किया गया। इन दोनों घाटों के अलावा मथुरा-वृंदावन के अन्य घाटों पर भी पितरों की आत्मशांति के लिए तर्पण करने का सिलसिला चला। मथुरा के स्वामीघाट पर मथुरस्थ सर्वकर्म पांि
मथुरा, जेएनएन। भाद्र पक्ष की पूर्णिमा यानि बृहस्पतिवार से पितृपक्ष आरंभ हो गया। पहले दिन मथुरा में स्वामीघाट और वृंदावन के केसीघाट पर सामूहिक पितृ तर्पण किया गया। इन दोनों घाटों के अलावा मथुरा-वृंदावन के अन्य घाटों पर भी पितरों की आत्मशांति के लिये तर्पण करने का सिलसिला चला।
मथुरा के स्वामीघाट पर मथुरस्थ सर्वकर्म पांडित्य समिति के तत्वावधान में सर्वप्रथम देव तर्पण, ऋषि तर्पण के बाद स्वपितृ तर्पण किया गया। इसके बाद ज्ञात-अज्ञात कारणवश असमय काल के गाल में समाने वाले लोगों के निमित्त तर्पण किया गया।
इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष अशोक पाठक ने बताया कि जनसुविधा के लिए स्वामीघाट पर तर्पण कराने के लिए आचार्य की व्यवस्था है। संगठन मंत्री अमित शर्मा भारद्वाज ने बताया कि बिना तर्पण किए श्राद्ध की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होती। तर्पण करने वालों में अशोक पाठक, आनंद बल्लभ शास्त्री, गोपाल, बलराम, विजय शास्त्री, श्याम नरेश द्विवेदी, ललित स्वामी, किस्सो पंडित, मनोज शर्मा, रोहित शर्मा, ब्रजेंद्र शास्त्री और सत्तो पाठक आदि लोग शामिल हैं।
वृंदावन। केशीघाट पर पितृाें की आत्मशांति के लिए तर्पण करने वालों की कतार सुबह से शुरू हो गई। वेदपाठी ब्राह्मणों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ तर्पण करवाया।
ज्योतिष के जानकार जगदीश शर्मा बताते हैं कि पितृपक्ष में पूर्वज सबसे अधिक तर्पण की कामना करते हैं और श्राद्ध करने से भी प्रसन्न होते हैं। जो लोग अपने पूर्वजों का विधिविधान पूर्वक श्राद्ध करते हैं, पूर्वज उन्हें सुख-समृद्धि, सफलता एवं आरोग्य रहने का आशीर्वाद भी प्रदान करते हैं।
पितृपक्ष में ये भी अनिवार्य
पुराणों में वर्णन है कि पितृपक्ष के दौरान मनुष्य को पशु-पक्षियों को भोजन कराना चाहिए। गरीब एवं ब्राह्मणों को श्रद्धा के अनुसार दान, पितृस्त्रोत का पाठ एवं कोई भी शुभ एवं नवीन कार्य शुरू नहीं करने चाहिए।
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