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श्रद्धालुओं पर बरसी द्वारिकाधीश की कृपा

द्वारिकाधीश मंदिर के दो सौ वर्ष पूरे हो रहे थे तो मंदिर में द्वापर युग जीवंत करना लाजिमी था। छप्पन भोग के एक तरफ नंदगांव तो दूसरी ओर बरसाना सजाया गया। अद्भूत और अकल्पनीय नजारे में हर कोई सुध-बुध खोकर भगवान द्वारिकाधीश की जय-जयकार करने लगा। ठाकुरजी का जन्मोत्सव था तो श्रंगार भी राजा-महाराजा वाला था। हीरा, पन्न

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 11 Oct 2014 01:33 PM (IST)Updated: Sat, 11 Oct 2014 01:36 PM (IST)
श्रद्धालुओं पर बरसी द्वारिकाधीश की कृपा

मथुरा। द्वारिकाधीश मंदिर के दो सौ वर्ष पूरे हो रहे थे तो मंदिर में द्वापर युग जीवंत करना लाजिमी था। छप्पन भोग के एक तरफ नंदगांव तो दूसरी ओर बरसाना सजाया गया। अद्भूत और अकल्पनीय नजारे में हर कोई सुध-बुध खोकर भगवान द्वारिकाधीश की जय-जयकार करने लगा।

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ठाकुरजी का जन्मोत्सव था तो श्रंगार भी राजा-महाराजा वाला था। हीरा, पन्ना, मणिक आदि से सजे ठाकुरजी भक्तों पर कृपा का सागर बरसा रहे थे। आकर्षक फूलों और रंग-बिरंगी विद्युत सजावट से सतरंगी हुए मंदिर की आभा देखते ही बन रही थी। द्वारिकाधीश महाराज मंदिर के दो सौ वर्ष पूरे होने पर आयोजित छप्पनभोग महोत्सव में श्रद्धालु आस्था की डोर से देररात तक बंधे रहे। भगवान श्रीकृष्ण की जय-जयकार से मंदिर गुंजायमान होता रहा। देर रात छप्पनभोग की आरती के बाद दर्शकों ने ठाकुरजी को प्रणाम कर विदा ली।

पट खुलने का बेसब्री से करते रहे इंतजार1सुबह की मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं को अमृत महोत्सव पर आयोजित छप्पन भोग के दर्शन का बेसब्री से इंतजार था। पट खुलने से पहले ही भक्त मंदिर के प्रवेश द्वार पर एकत्रित होने लगे। हर कोई इस अद्भूत क्षण का साक्षी बनने के इंतजार में था। जैसे ही छप्पन भोग के दर्शन के लिए द्वारिकाधीश मंदिर के पट खुले मंदिर प्रांगण ठाकुरजी महाराज के जयघोषों से गूंज उठा। आस्था की बयार बहने लगी और हर कोई इसमें गोते लगाता रहा।

सात घंटे लगे छप्पनभोग को सजने में

श्रीठाकुरजी महाराज के छप्पन भोग सजने में करीब आठ घंटे का समय लगा था। सुबह मंगला आरती के बाद मंदिर के पट श्रद्धालुओं के लिए नहीं खुले। मंगला आरती के बाद छप्पनभोग सजाने का क्रम शुरू हुआ जो करीब ढाई बजे जाकर पूरा हुआ। उसके बाद श्रद्धालुओं के लिए छप्पनभोग के विशेष दर्शन खोल दिए गए। छप्पन भोग में करीब साढ़े तीन सौ तरह के व्यंजन सजाए गए।

छप्पन भोग सजाने में ब्रजेश मंदिर के ब्रजेश कुमार गोस्वामी, भागीरथ कुमार, वेदांत कुमार, शरणम महाराज आदि का सहयोग रहा।

त्रिवेणी महोत्सव मनाने का मिला मौका

मंदिर में द्वारिकाधीश मंदिर के दो सौ वर्ष पूरे होने पर छप्पन भोग का आयोजन तो हुआ ही साथ ही बृजभूषण लाल महाराज के जन्म शताब्दी वर्ष और ब्रहम ऋषि बृजेश कुमार महाराज के 75 वर्ष में प्रवेश करने के उपलक्ष्य में अमृत महोत्सव भी मनाया जा रहा था।

लगता रहा जाम

इस विशेष छप्पन भोग के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा था। मंदिर के आस-पास पर लगातार जाम की स्थिति बनी रही। जाम खुलवाने के लिए पुलिस वालों को भी अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ रही थी।


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