लोगों का मानना है कि भगवान यहीं आकर स्थापित हुए थे
किंवदंती है, 'जब इस झील में एक मगरमच्छ की मृत्यु होती है तो रहस्यमयी ढंग से दूसरा मगरमच्छ प्रकट हो जाता है।
'बबिआ' किसी व्यक्ति का नाम नहीं बल्कि एक मगरमच्छ का नाम है। मान्यता है कि केरल के कासरगोड स्थित अनंतपुर मंदिर की झील में रहने वाला यह मगरमच्छ पूरी तरह शाकाहारी है और पुजारी इसके मुंह में प्रसाद डालकर इसका पेट भरते हैं।
किंवदंती है, 'जब इस झील में एक मगरमच्छ की मृत्यु होती है तो रहस्यमयी ढंग से दूसरा मगरमच्छ प्रकट हो जाता है।' 2 एकड़ की झील के बीचों-बीच बना यह मंदिर भगवान विष्णु (भगवान अनंत-पद्मनाभस्वामी) का है।
'बबिआ' मगरमच्छ अनंतपुर मंदिर की झील में करीब 60 सालों से रह रहा है। मान्यता है यह मगरमच्छ पूरी तरह शाकाहारी है और इसे मंदिर का प्रसाद भी खिलाया जाता है। यह मगरमच्छ झील के अन्य जीवों को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
कहते है कि सन् 1945 में एक अंग्रेज सिपाही ने तालाब में मगरमच्छ को गोरी मारकर मार डाला था और अगले ही दिन यह मगरमच्छ अविश्वसनीय रूप से झील में तैरता मिला। कुछ ही दिनों बाद
अंग्रेज सिपाही की सांप के काट लेने से मौत हो गई। लोग इसे सांपों के देवता अनंत का बदला मानते हैं। तभी से यह माना जाता है कि झील में एक मगरमच्छ की मृत्यु होती है तो रहस्यमयी ढंग से दूसरा मगरमच्छ प्रकट हो जाता है।
अनंतपुर मंदिर की मूर्तियां धातु या पत्थर की नहीं बल्कि 70 से ज्यादा औषधियों की सामग्री से बनी हैं। इस प्रकार की मूर्तियों को 'कादु शर्करा योगं' के नाम से जाना जाता है। हालांकि, 1972 में इन मूर्तियों को पंचलौह धातु की मूर्तियों से बदल दिया गया था। यह मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनंत-पद्मनाभस्वामी का मूल स्थान है। लोगों का मानना है कि भगवान यहीं आकर स्थापित हुए थे।
अनंतपुर मंदिर के नजदीक चंद्रगिरी किला, कासरगोड किला, कोट्टनचेरी पर्वत दर्शनीय स्थल हैं। कासरगोड की एक ओर अजीब बात है वो यह कि यहां बारिश ज्यादा हो या कम झील के पानी का स्तर हमेशा एक-सा रहता है।