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Pauranik Kathayen: जब शनिदेव की दृष्टि से भगवान शिव भी नहीं बच पाए, पढ़ें यह रोचक कथा

Pauranik Kathayen शनिदेव आज से मार्गी हुए हैं। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। कहा जाता है कि इस संसार में उनकी दृष्टि से आजतक कोई भी बच नहीं सका है चाहें वह स्वयं महाकाल भगवान शिव ही क्यों न हों।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2020 03:00 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 06:31 AM (IST)
Pauranik Kathayen: जब शनिदेव की दृष्टि से भगवान शिव भी नहीं बच पाए, पढ़ें यह रोचक कथा
शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है।

Pauranik Kathayen: शनिदेव आज से मार्गी हुए हैं। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। कहा जाता है कि इस संसार में उनकी दृष्टि से आजतक कोई भी बच नहीं सका है, चाहें वह स्वयं महाकाल भगवान शिव ही क्यों न हों। शनिदेव कहते हैं कि वे जीवों को उनके कर्म के अनुसार ही फल देते हैं। आइए जानते हैं कि जब शनिदेव की भगवान शिव पर दृष्टि पड़ी तो क्या हुआ और भगवान शिव ने इससे बचने के लिए क्या उपाय किया। पढ़ते हैं यह रोचक पौराणिक कथा।

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एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय शनिदेव भगवान शिव के धाम कैलास पर पहुंचे। वहां उनको देखकर सभी शिव गण आश्चर्य में पड़ गए। तभी भगवान शिव ध्यान से बाहर आए तो सामने ​शनिदेव खड़े थे। उहोंने महादेव का अभिवादन किया और कहा कि हे प्रभु! मैं कल आपकी राशि में आने वाला हूं। आप पर मेरी दृष्टि पड़ने वाली है।

कालों के काल महाकाल ने उनसे पूछा कि आपकी कल किस समय तक वक्र दृष्टि उन पर रहने वाली है। शनिदेव ने कहा कि कल सवा प्रहर तक आप पर वक्र दृष्टि रहेगी। वार्ता समाप्त होने के बाद शनिदेव ने वहां से प्रस्थान किया।

उनके जाने के बाद महादेव शनिदेव की दृष्टि से बचने के लिए उपाय करने लगे। इसके पश्चात भगवान शिव ने एक हाथी का रूप धारण कर लिया और पृथ्वी पर चले गए। सवा प्रहर का समय व्यतीत होने के बाद भगवान शिव ने सोचा कि अब तो शनि की वक्र दृष्टि उन पर नहीं पड़ेगी। उन्होंने हाथी का रूप त्याग दिया और वास्तविक स्वरूप में आ गए।

इसके बाद महादेव अपने धाम कैलास पहुंचे, तो शनिदेव पहले से ही वहां विराजमान थे। वे भगवान शिव का इंतजार कर रहे थे। भगवान शिव ने उनसे कहा कि आपकी दृष्टि उन पर नहीं पड़ी और वे बच गए। तब शनिदेव ने कहा​ कि हे महाकाल! उनकी दृष्टि के कारण ही आपको हाथी का रूप धारण कर पृथ्वी पर दिन के सवा प्रहर तक विचरण करना पड़ा। देवयोनी से पशुयोनी में जाना पड़ा। ऐसे आप पर शनि की वक्र दृष्टि पड़ गई।


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