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Chandrahasa Sword: रावण को कैसे मिला था भगवान शिव का अविनाशी तलवार चंद्रहास, जानें यहां

Chandrahasa Sword रावण के जीवन से कई जुड़े रहस्य हैं जो लोगों को उसके बारे में जानने के लिए उत्सुकता पैदा करते हैं। आज हम आपको रावण की तलवार चंद्रहास के बारे में बता रहे हैं। चंद्रहास तलवार रावण को कैसे प्राप्त हुआ था?

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 10:21 AM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 10:47 AM (IST)
Chandrahasa Sword: रावण को कैसे मिला था भगवान शिव का अविनाशी तलवार चंद्रहास, जानें यहां
लंका का राजा रावण बहुत ही बलशाली, महाज्ञानी और मायावी था।

 Chandrahasa Sword: लंका का राजा रावण बहुत ही बलशाली, महाज्ञानी और मायावी था। दस सिर होने के कारण उसे दशानन कहा जाता था। उसके पास पुष्पक विमान, चंद्रहास जैसा अविनाशी तलवार था। हालांकि उसके अभिमान के कारण ही उसका पतन हो गया। श्रीराम के हाथों रावण का वध हुआ था। उसके जीवन से कई जुड़े रहस्य हैं, जो लोगों को उसके बारे में जानने के लिए उत्सुकता पैदा करते हैं। आज हम आपको रावण की तलवार चंद्रहास के बारे में बता रहे हैं। चंद्रहास तलवार रावण को कैसे प्राप्त हुआ था?

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार रावण अपने विमान पुष्पक से कहीं जा रहा था। इस दौरान उसने देखा कि उसके रास्ते में विशाल कैलाश पर्वत खड़ा है। उसे डर था कि कहीं उसके कारण उसकी यात्रा पूरी न हो। उसका विमान कैलाश को पार ही न कर पाए। उसे अपने बल का घमंड था। उसने कैलाश के पास पहुंचकर उससे कहा कि वह उसके मार्ग से हट जाए। विशालकाय कैलाश के लिए यह कहां संभव होने वाला था।

रावण की बात सुनकर भी कैलाश पर्वत टस से मस नहीं हुआ तो रावण अपने अहंकार के वशीभूत होकर क्रोधित हो गया। वह अपने पुष्पक विमान से उतरा और कैलाश पर्वत को उठाने लगा। कैलाश पर्वत तो भगवान शिव और माता पार्वती का निवास है। ध्यानमग्न भगवान शिव ने जब रावण के इस दुस्साहस को देखा तो उन्होंने अपने अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबा दिया। इससे रावण की एक अंगुली बुरी तरह जख्मी हो गई। वह दर्द से कराहने लगा।

भगवान शिव के आगे रावण की क्या बिसात? रावण को अपनी गलती का एहसास हो गया और उसने भगवान शिव से क्षमा मांगी। वहीं तब रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्रम की रचना की। पहली बार उसने वहां पर शिव तांडव स्तोत्रम का पाठ किया। इससे भगवान शिव रावण पर बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने कैलाश पर्वत के शिखर से अपना अंगूठा हटा लिया, जिससे रावण मुक्त हुआ।

शिव तांडव स्तोत्रम की रचना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उपहार स्वरूप अपना अविनाशी तलवार चंद्रहास रावण को भेंट कर दिया। इस प्रकार रावण को दिव्य तलवार चंद्रहास मिला।


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