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Chanakya Niti: ऐसी गलतियां करने वाले माता-पिता अपने बच्चे के होते हैं जानी दुश्मन, आप न दोहराएं

Chanakya Niti आचार्य चाणक्य की मानें तो जो माता-पिता अपने बच्चे को संस्कार नहीं देते हैं। बच्चे को संस्कारी और शालीन नहीं बनाते हैं। वे अपने बच्चे के ही शत्रु होते हैं। इससे न केवल बच्चे का भविष्य कष्टमय होता है बल्कि माता-पिता का जीवन भी संकटमय हो जाता है।

By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarPublished: Wed, 29 Mar 2023 11:48 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2023 11:48 AM (IST)
Chanakya Niti: ऐसी गलतियां करने वाले माता-पिता अपने बच्चे के होते हैं जानी दुश्मन, आप न दोहराएं
Chanakya Niti: ऐसी गलतियां करने वाले माता-पिता अपने बच्चे के होते हैं जानी दुश्मन, आप न दोहराएं

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chanakya Niti: आधुनिक समय में भी आचार्य चाणक्य के विचार प्रासंगिक हैं। उन्होंने नीति शास्त्र में समस्त समाज के विकास की विवेचना की है। इसमें उन्होंने माता-पिता के बारे में भी विस्तार से बताया है। आचार्य चाणक्य की मानें तो माता-पिता कई ऐसी गलतियां करते हैं, जो बच्चे और पेरेंट्स के लिए दुखप्रद होते हैं। इनमें सुधार करना चाहिए। इससे बच्चे का भविष्य स्वर्णिम होता है। वहीं, माता-पिता भी सुखी पूर्वक जीवन व्यतीत करते हैं। इसके अलावा, धन और संपत्ति में भी वृद्धि होती है। अगर आप भी अपने बच्चे को कामयाब इंसान बनाना चाहते हैं, तो ये 3 गलतियां न करें। आइए जानते हैं-

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-आचार्य चाणक्य की मानें तो जो माता-पिता अपने बच्चे को संस्कार नहीं देते हैं। बच्चे को संस्कारी और शालीन नहीं बनाते हैं। वे अपने बच्चे के ही शत्रु होते हैं। इससे न केवल बच्चे का भविष्य कष्टमय होता है, बल्कि माता-पिता का जीवन भी संकटमय हो जाता है। बच्चे कुमार्ग पर चलने लगते हैं। इससे माता-पिता को सामाजिक उपहास से गुजरना पड़ता है। साथ ही गलत कार्यों में लिप्त रहने पर बच्चे सजा के भागी भी बनते हैं। वहीं, माता-पिता मानसिक यातनाएं झेलते हैं।

-बच्चों को शिक्षा प्रदान करना माता-पिता का कर्तव्य है। इसके लिए बच्चे को शिक्षा दिलाने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए। अगर कंजूसी करते हैं, तो बच्चे उच्च शिक्षा पाने से वंचित हो सकते हैं। ऐसे माता-पिता जो बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं दिलाते हैं। वे अपने बच्चे के ही दुश्मन होते हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त न करने की वजह से बच्चे को जीवन यापन के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ता है। वहीं, माता-पिता को भी सुख-सुविधा नहीं मिल पाती है।

-आचार्य चाणक्य का कहना है कि बच्चे को अधिक लाड़-प्यार देना भी सही नहीं है। इससे बच्चे बिगड़ जाते हैं। साथ ही बच्चे जिद्दी भी बन जाते हैं। इसके बाद बच्चे अपनी मन की करने लगते हैं। ये जिद बच्चे और उनके माता-पिता के लिए सही नहीं है। इससे बच्चे बिगड़ जाते हैं। इसके लिए बच्चे को अधिक लाड़-प्यार न दें।

-बच्चे का आज्ञाकारी होना जरूरी है। वहीं, पिता के लिए बच्चों का लालन-पालन जरूरी है। अगर पिता अपने बच्चे की परवरिश में कमी करते हैं, तो बच्चे का सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है। ऐसे माता-पिता अपने बच्चे के लिए शत्रु ही बन जाते हैं।

डिसक्लेमर-'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी। '


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