Aaj Ka Panchang: आज है इंदिरा एकादशी, पढ़ें 13 सितंबर 2020 का पंचांग, जानें मुहूर्त, राहुकाल एवं दिशाशूल
Panchang 13 September 2020 हिन्दी पंचांग के अनुसार आज दिन रविवार और शुद्ध आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। आज इंदिरा एकादशी है।
Panchang 13 September 2020: हिन्दी पंचांग के अनुसार, आज दिन रविवार और शुद्ध आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। आज इंदिरा एकादशी है। आज के दिन व्रत और पूजा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रत करने वाले को भी जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है। आज पंचांग में शुभ मुहूर्त, राहुकाल, दिशाशूल के अलावा सूर्योदय, सूर्यास्त, चंद्रोदय, चंद्रास्त आदि के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
आज का पंचांग
दिन: रविवार, शुद्ध आश्विन मास, कृष्ण पक्ष, एकादशी तिथि।
आज का दिशाशूल: पश्चिम।
आज का राहुकाल: शाम 04:30 बजे से 06:00 बजे तक।
आज का पर्व एवं त्योहार: इंदिरा एकादशी।
श्राद्ध: एकादशी श्राद्ध।
विशेष: गुरु मार्गी।
विक्रम संवत 2077 शके 1942 दक्षिणायन, उत्तरगोल, वर्षा ऋतु शुद्ध आश्विन मास कृष्णपक्ष की एकादशी 27 घंटे 17 मिनट तक, तत्पश्चात् द्वादशी पुनर्वसु नक्षत्र 16 घंटे 34 मिनट तक, तत्पश्चात् पुष्य नक्षत्र वरियान योग 16 घंटे 03 मिनट तक, तत्पश्चात् परिघ योग मिथुन में चंद्रमा 10 घंटे 36 मिनट तक तत्पश्चात् कर्क में।
सूर्योदय और सूर्यास्त
आज इंदिरा एकादशी के दिन सूर्योदय सुबह 06 बजकर 09 मिनट पर और सूर्यास्त शाम को 06 बजकर 34 मिनट पर होगा।
चंद्रोदय और चंद्रास्त
आज के दिन चंद्रोदय देर रात 02 बजकर 48 मिनट पर होगा। चंद्र का अस्त अगले दिन सोमवार 14 सितंबर को शाम 04 बजकर 25 मिनट पर होगा।
आज का शुभ समय
अभिजित मुहूर्त: दिन में 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक।
रवि पुष्य योग: सुबह 06 बजकर 09 मिनट से 14 सितंबर को सुबह 03 बजकर 22 मिनट तक।
अमृत काल: रात को 09 बजकर 10 मिनट से रात 10 बजकर 43 मिनट तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06 बजकर 09 मिनट से 14 सितंबर को सुबह 03 बजकर 22 मिनट तक।
विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से दोपहर 03 बजकर 16 मिनट तक।
आज शुद्ध आश्विन कृष्ण एकादशी तिथि है। आज आप कोई नया कार्य करना चाहते हैं तो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें। आज एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करनी चाहिए। इंदिरा एकादशी के व्रत का पुण्य अपने पितरों को दान करें, जिससे उनको यमलोक से मुक्ति मिलेगी और बैकुण्ठ में स्थान प्राप्त होगा।