नए साल पर गूंजेगा राधे-राधे
शहर में भारतीय संस्कृति का असर, तो कुछ हिंदूवादियों का डर। ऐसे में होटल संचालक अंग्रेजी नव वर्ष पर कार्यक्रम नहीं कराएंगे। 31 दिसंबर की रात जब पूरी दुनिया जश्न की खुमारी में डूबेगी, तब मथुरा की नए साल की सुबह राधे-राधे और जय गिरिराज धरण की गूंज के साथ होगी। करीब एक दशक पहले जब मथुरा में होटलों की फेहि
मथुरा। शहर में भारतीय संस्कृति का असर, तो कुछ हिंदूवादियों का डर। ऐसे में होटल संचालक अंग्रेजी नव वर्ष पर कार्यक्रम नहीं कराएंगे। 31 दिसंबर की रात जब पूरी दुनिया जश्न की खुमारी में डूबेगी, तब मथुरा की नए साल की सुबह राधे-राधे और जय गिरिराज धरण की गूंज के साथ होगी।
करीब एक दशक पहले जब मथुरा में होटलों की फेहरिश्त बढ़ी, तो कुछ होटलों ने नव वर्ष की शाम रंगीन बनाने की सोची थी। लेकिन रंगीन शाम परवान चढ़ती, उससे पहले ही हिंदूवादी कार्यकर्ता खलनायक बन होटलों में धमकने लगे।
ऐसा उत्पात हुआ कि होटल संचालक जश्न मनाना ही भूल गए। मथुरा शहर के किसी होटल में अब नव वर्ष का रंगारंग जश्न खुलेआम नहीं मनाया जाता। उत्तर प्रदेश होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के डायरेक्टर अमित जैन ने बताया कि ऐसे कार्यक्रमों का अधिक रिस्पांस नहीं मिलता, दूसरे होटल संचालकों को हिंदूवादी संगठनों के विरोध का भय भी होता है।
रविवार को मसानी क्षेत्र स्थित हनुमान मंदिर में विहिप और बजरंग दल की बैठक हुई। विहिप जिलाध्यक्ष बच्चू सिंह ने बताया कि बैठक में नए साल के जश्न के नाम पर होने वाले अश्लील कार्यक्रमों की खिलाफत के लिए बजरंग दल की टीम गठित की गई।
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