शीतकाल में ओंकारेश्वर मंदिर में होगी भगवान मद्महेश्वर की पूजा
पंचकेदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली तीन पड़ावों में विश्राम करने के बाद अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो गई। अब आने वाले शीतकाल के छह माह तक यहीं पर भगवान की पूजा-अर्चना होगी।
रुद्रप्रयाग। पंचकेदारों में शामिल द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली तीन पड़ावों में विश्राम करने के बाद अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान हो गई। अब आने वाले शीतकाल के छह माह तक यहीं पर भगवान की पूजा-अर्चना होगी।
गत 24 नवंबर को मद्महेश्वर धाम के कपाट बंद होने के बाद द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर की उत्सव डोली अपने प्रथम पड़ाव गौंडार पहुंची थी। 25 नवंबर को रांसी एवं 26 नवंबर को गिरिया में उत्सव डोली ने विश्राम किया था।
इस मौके पर मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने गिरिया में भगवान की उत्सव डोली की विशेष पूजा-अर्चना कर भोग लगाया। साथ ही इस दौरान यहां उपस्थित स्थानीय भक्तों ने भगवान के दर्शन कर आशीर्वाद भी लिया।
गिरिया से प्रस्थान के बाद डोली का विभिन्न स्थानों पर भक्तों ने अक्षतों एवं फूल-मालाओं से स्वागत भी किया गया। केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग भी डोली की आगुआनी करने मंगोलीचारी पहुंचे, जहां पर उन्होंने भगवान को सोने मुकुट भी पहनाया। इससे बाद भगवान की उत्सव डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंची।
मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में वेदपाठियों, आचार्य, पुजारियों एवं मंदिर समिति के कर्मचारियों की उपस्थिति में भगवान की भोगमूर्ति को डोली से उतार कर पुष्परत में रखा गया।
मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद भोगमूर्ति को गर्भ गृह में स्थापित किया गया। इस अवसर पर विधायक शैलारानी रावत, पूर्व विधायक आशा नौटियाल, मंदिर समिति के कार्याधिकारी अनिल शर्मा, राजकुमार नौटियाल, डोली प्रभारी युद्धवीर पुष्पाण, आचार्य हर्ष जमलोकी, पुजारी बागेश लिंग, पुजारी शिव शंकर लिंग समेत बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित थे।
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