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श्रीराम मंदिर के लिए सरकार पर आश्रित नहीं

ज्योतिष्पीठ एवं द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए हर हिंदू सक्रिय है। इसके लिए हम सरकार पर आश्रित नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय में रामालय ट्रस्ट मुकदमे की पैरवी कर रहा है। संतों की सहमति से कंबोडिया के

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 24 Mar 2015 10:48 AM (IST)Updated: Tue, 24 Mar 2015 10:59 AM (IST)
श्रीराम मंदिर के लिए सरकार पर आश्रित नहीं

वाराणसी। ज्योतिष्पीठ एवं द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए हर हिंदू सक्रिय है। इसके लिए हम सरकार पर आश्रित नहीं हैं। सर्वोच्च न्यायालय में रामालय ट्रस्ट मुकदमे की पैरवी कर रहा है। संतों की सहमति से कंबोडिया के अंकोरवाट मंदिर की तरह राम मंदिर का निर्माण होगा।

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जगद्गुरु शंकराचार्य सोमवार को केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ में मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि मुस्लिम आक्रांताओं ने देश भर में हिंदू मंदिरों को क्षति पहुंचाई। वे कहीं भी मस्जिद या मकबरे बना सकते थे लेकिन इसके लिए मंदिरों को ही चुना। अजमेर में ख्वाजा नईमुद्दीन चिश्ती की दरगाह और आगरा ताजमहल के नीचे अभी भी शिवलिंग है। बनारस में ज्ञानवापी मस्जिद की दीवारें हिंदू मंदिर का प्रमाण देती हैं। जिसे मस्जिद कहा जाता है, उसका भूतल मंदिर ही है।

शंकराचार्य ने कहा कि साईं मुसलमान थे, फातिहा पढ़ते थे और अल्लाह मालिक कहकर बात करते थे। सबका मालिक एक है, गुरुनानक की वाणी थी न कि साईं की। साईं की प्रतिमाएं हिंदू मंदिरों में कतई नहीं लगाई जानी चाहिए, इसे सरकार रोके। साईं का शास्त्रों तक में उल्लेख नहीं, शिरडी में कब्र है या समाधि, अब तक तय नहीं किया जा सका। टीवी धारावाहिक बनाकर साईं को प्रचारित किया गया। देवताओं की विभिन्न मुद्राओं में उनकी छवि व चमत्कार दिखाकर हिंदुओं को ठगा गया। साईं ट्रस्ट ने विभिन्न बैंकों में 13 अरब से ज्यादा रुपये जमा कर रखे हैं। शताब्दी समारोह में 1200 करोड़ रुपये खर्च करने की तैयारी है। इसे जनहित के कार्यों में खर्च करें।

धारा लौटाएं, किनारा न सजाएं-

शंकराचार्य ने कहा कि गंगा को बांधों के बंधन से मुक्त कर ही अविरलता लौटाई जा सकती है। उत्तराखंड में प्रस्तावित बांध की योजनाएं स्थगित की जाएं। घोषणाओं व धन आवंटन मात्र से ऐसा नहीं किया जा सकता। धारा अविरल किए बिना किनारा सजाने की बात बेमानी है। अविरलता मिलने तक आंदोलन जारी रहेगा।

गोहत्या रोकने को बने केंद्रीय कानून-

शंकराचार्य ने कहा कि गो हत्या रोकने के लिए कठोर केंद्रीय कानून बने ताकि किसी प्रदेश में यह दुष्कृत्य न किया जा सके। आस्था आहत कर एक खास वर्ग को सस्ते प्रोटीन के नाम पर गो मांस खाने की छूट नहीं दी जा सकती। दूध से करोड़ों शाकाहारियों की तरह सभी पोषक आहार पा सकते हैं। श्वेत क्रांति के नाम पर जर्सी से गुणवत्ता खत्म हो रही।

घर वापसी से पूर्व बताएं घर का अर्थ-

शंकराचार्य ने कहा कि रही बात घर वापसी की तो पहले घर का सही अर्थ समझाना होगा। नाम बदलने मात्र से यह नहीं होगा। गो मांस खाने वाला खुद को हिंदू कहेगा तो हम अपने को क्या कहेंगे। ऐसे में आचार-विचार व व्यवहार बदलना होगा। वेद पुराण मानने वाला ही हिंदू है। डीएनए इसका आधार नहीं हो सकता।

गीता को मिले राष्ट्रीय दर्जा-

मुसलमान मदरसों में कुरान और इसाई बाइबिल पढ़ा सकता है तो हिंदू, धर्मग्रंथ क्यों नहीं पढ़ा सकते। स्कूल कालेजों में गीता, रामायण व महाभारत पढ़ाया जाना चाहिए। आजादी से पहले यह होता रहा है तो अब क्यों नहीं। इसे तय करने का वीटो मुसलमानों को नहीं दिया जा सकता। गीता धर्म-सम्प्रदाय से परे है, इसे राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिया जाना चाहिए।

महिला अत्याचार रोकने को नशाबंदी-

शंकराचार्य ने कहा कि महिलाओं के साथ हो रहे दुराचार व अत्याचार रोकने के लिए नशाबंदी जरूरी है। मध्यप्रदेश के एक मंत्री महिलाओं को सावधान रहने की सीख देते हैं, वयस्क सावधान हो जाएंगी लेकिन पांच वर्षीय बालिका क्या करेगी। दुष्कर्म रोकने के लिए कठोर कानून बने, साथ ही इसकी जड़ नशाखोरी भी रोकी जाए। इसके लिए नशे के सामान की सरकारी स्तर पर भी बिक्री बंद की जाए। इसे रोकने के लिए हिंदू सेना का गठन किया है जो घर घर जाकर अलख जगा रही है।


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