Move to Jagran APP

कल्पवृक्ष में फूटीं नई कोपलें

छावनी क्षेत्र में चंडिका देवी मंदिर के सामने स्थित बंगले के अहाते में मौजूद अति दुर्लभ कल्पवृक्ष से मानों आशाओं की कोपलों ने नया जन्म ले लिया है। 37 फीट मोटाई वाले कल्प वृक्ष की टूटी शाखाओं के पास से नई कोपलें फूटने लगी हैं

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 09 May 2016 12:29 PM (IST)Updated: Mon, 09 May 2016 12:34 PM (IST)
कल्पवृक्ष में फूटीं नई कोपलें

वाराणसी । छावनी क्षेत्र में चंडिका देवी मंदिर के सामने स्थित बंगले के अहाते में मौजूद अति दुर्लभ कल्पवृक्ष से मानों आशाओं की कोपलों ने नया जन्म ले लिया है। 37 फीट मोटाई वाले कल्प वृक्ष की टूटी शाखाओं के पास से नई कोपलें फूटने लगी हैं।

loksabha election banner

आश्चर्य की बात तो ये है कि टूट कर गिर पड़ी डाली से, जो कि जमीन से पांच फीट ऊपर है, उससे भी आशाओं ने जन्म लेना शुरू कर दिया है। कुदरत के इस चमत्कार से वृक्ष के संरक्षण में लगे लोगों को नई ऊर्जा मिल गई है। अब देखना यह है कि वृक्ष की टूटी डाली से निकलने वाली कोपलों को किसी अन्य स्थान पर किस प्रकार संरक्षित किया जाता है। साल भर पहले सारनाथ वन विभाग व बीएचयू कृषि विज्ञान विभाग ने छावनी परिषद के सहयोग से इसके संरक्षण का बीड़ा उठाया था। तमाम कवायद भी की गईं। पेड़ में मौजूद कोटर में केमिकल डालकर उसे भरा भी गया। लेकिन छ: माह पूर्व जब वृक्ष की एकमात्र बची शाखा टूट कर गिर पड़ी, तो लगा मानों सारी मेहनत पर ग्रहण लग गया हो। लेकिन कुदरत के बदले रूख ने सारी उम्मीदों को नया आकार दे दिया है।
आस्था का भी है कल्पवृक्ष - छावनी क्षेत्र में मौजूद इस पेड़ के प्रति लोगों की आस्था भी है। पेड़ में लाल रंग की चुनरी बांधी गई है। स्थानीय लोग पूजा कर मन्नतें भी मांगने के लिए यहां पहुंचते रहते हैं। हांलाकि सारनाथ वन विभाग से छावनी परिषद की प्रमिला जायसवाल ने एक वर्ष पूर्व दूसरा नन्हा कल्पवृक्ष लाकर परिषद के प्रांगण में लगाया था। आज उसकी ऊंचाई लगभग छ: फीट हो गई है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.