Namakaran Sanskar: नक्षत्रों के अनुसार रखा जाता है नवजात शिशु का नाम
Namakaran Sanskar सामान्यत यह कहा जाता है कि जिस नक्षत्र में पैदा हुए हो उस नक्षत्र के मुताबिक नाम रखा जाता है। दो तरह के नक्षत्र होते हैं।
Namakaran Sanskar: आज हमने आपको अपने एक लेख में नामकरण संस्कार के बारे में बताया। इस संस्कार में नवजात बच्चे का नाम रखा जाता है। हिंदू धर्म में नवजात शिशु का नामकरण संस्कार पूरे विधि विधान से किया जाता है। शिशु के जन्म के बाद होने वाला यह दूसरा संस्कार है जो नवजात के लिए किया जाता है। स्मृति संग्रह में नामकरण संस्कार के बारे में कहा गया है नवजात शिशु का नामकरण संस्कार करने से उसकी आयु एवं तेज में वृद्धि होती है। लौकिक व्यवहार में नाम की प्रसिद्धि से व्यक्ति का अस्तित्व उभरता है। ऐसा कहा जाता है कि नामकरण में दो नाम रखे जाते हैं। इनमें से एक नाम प्रचलित होता है। वहीं, दूसरा गुप्त नाम होता है। यह पत्री में दर्ज होता है।
ज्योतिषाचार्य मृत्युंजय ओझा के अनुसार, सामान्यत: यह कहा जाता है कि जिस नक्षत्र में पैदा हुए हो उस नक्षत्र के मुताबिक नाम रखा जाता है। दो तरह के नक्षत्र होते हैं। इनमें एक नक्षत्र ऐसा होता है जिसमें चंद्रमा होता है जन्म के समय। इनमें भी पद होते हैं जैसे 1, 2, 3, 4 आदि। सबके मिलेजुले नंबर और अक्षर होते हैं। लोग आमतौर पर इन्हीं से आधार पर शिशु का नाम रखते हैं। पहले के ज्योतिष शिशु के नाम का पहला अक्षर बता दिया करते थे। क्योंकि उस समय सामान्यत: लोग नक्षत्र और राशि देखकर ही नाम रखते थे। क्योंकि तब भविष्यवाणी करना आसान था। नक्षत्र के आधार पर नाम रखने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानियां कुछ कम हो सकती हैं। इसी के लिए लोग नक्षत्र के पद के आधार पर नाम रखते हैं।
जरूरी नहीं है कि अगर आपने नक्षत्र के हिसाब से अपना नाम रखा है तो आपका भाग्य बदल जाएगा। लेकिन इससे कुछ परेशानियां कम जरूर हो सकती हैं। ऐसे में जो किस्मत चाहेगी होता वही है बस जीवन की कुछ कठिनाइयां जरूर कम हो सकती हैं।