Muharram 2022: इस मुहर्रम अपनों के साथ शेयर करें ये ख़ास पैग़ाम और कोट्स
Muharram 2022 मुहर्रम के 10वें दिन को आशूरा कहा जाता है इस दिन ही इमाम हुसैन की शहादत हुई थी। इस मौके पर आप हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद कर सकते हैं और अपने दोस्तों या रिश्तेदारों को ये खास पैग़ाम भेज सकते हैं।
नई दिल्ली। Muharram 2022: इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से मुहर्रम के महीने को पहला महीना माना जाता है। इस महीने से ही इस्लाम धर्म में नए साल की शुरुआत होती है। इस्लामिक कलैंडर को हिजरी कैलेंडर भी कहा जाता है, जो चांद के हिसाब से चलता है। यह महीना शिया और सुन्नी मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए बेहद ख़ास माना जाता है। यह ग़म का महीना होता है। पैगम्बर हज़रत मोहम्मद के नाती हज़रत इमाम हुसैन ने इंसानियत की रक्षा के लिए अपने परिवार और दोस्तों के साथ कर्बला में शहादत दी थी। मुहर्रम के 10वें दिन को आशूरा कहा जाता है, इस दिन ही इमाम हुसैन की शहादत हुई थी।
यह इस्लाम मज़हब के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस्लाम की मान्यता के अनुसार, कहा जाता है कि अशुरा के दिन इमाम हुसैन का कर्बला की लड़ाई में सिर कलम कर दिया था और उनकी याद में इस दिन जुलूस और ताज़िए निकालने की रिवायत है। फिर उनको कर्बला में दफन किया जाता है। इस साल मुहर्रम मंगलवार 09 अगस्त को है। आप भी अगर अपने जानने वालों को मुहरर्म के कोट्स और खास पैगाम भेजकर हुसैन के बहादुर बलिदान को याद करना चाहते हैं, तो ये मैसेज आपके काम आ सकते हैं...
1. ख़ुदा की जिस पर रहमत हो वो हुसैन हैं, जो इंसाफ और सत्य के लिए लड़ जाए वो हुसैन हैं।
2. कर्बला को कर्बला के शहंशाह पर नाज़ है,
उस नवासे पर मुहम्मद को नाज़ है,
यूं तो लाखों सिर झुके सजदे में लेकिन,
हुसैन ने वो सजदा किया, जिस पर खुदा को नाज़ है।
Muharram 2022
3. खुशियों का सफर तो गम से शुरू होता है, हमारा तो नया साल मुहर्रम से शुरू होता है।
4. मेरी दुआ है कि यह नववर्ष
आपके जीवन में बहुत सारी खुशियां,
स्वास्थ्य और समृद्धि लाए।
नया साल 2022 मुबारक आपको।
5. फलक पर शोक का बादल अजीब सा छाया है, जैसे कि मुहर्रम का महीना नज़दीक आया है।
6. मुहर्रम पर याद करो वो कुर्बानी,
जो सिखा गया सही अर्थ इस्लामी,
ना डिगा वो हौसलों से अपने,
काटकर सर सिखाई असल जिंदगानी।
Muharram 2022
7. अपनी तकदीर जगाते हैं तेरे मातम से,
खून की राह बिछाते हैं तेरे मातम से,
अपन इजहारे-ए-अकीदत का सिलसिला ये है,
हम नया साल मनाते हैं तेरे मातम से।
8. ज़िक्र-ए-हुसैन आया तो आंखें छलक पड़ी, पानी को कितना प्यार है अब भी हुसैन से।
9. करीब अल्लाह के आओ तो कोई बात बने,
ईमान फिर से जगाओ तो कोई बात बने,
लहू जो बह गया कर्बला में, उनके मकसद को समझो तो कोई बात बने।
10. सजदे से कर्बला को बंदगी मिल गई,
सब्र से उम्मत को ज़िंदगी मिल गई,
एक चमन फातिमा का गुज़रा,
मगर सारे इस्लाम को ज़िंदगी मिल गई।
Muharram 2022