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Motivational Story: जब इंद्र को एक चिड़िया ने बताई 'बड़ी बात', बदले में मिला वरदान

Motivational Story एक शिकारी था। उसे एक रोज कोई शिकार नहीं मिला। वह गुस्से में तीर और धनुष लेकर घने वन के अंदर चला गया। वह शिकारी अचूक निशाना लगाता था। उस दिन घने वन में उसे हिरणों का जोड़ा दिखाई दिया।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 02:30 PM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 02:30 PM (IST)
Motivational Story: जब इंद्र को एक चिड़िया ने बताई 'बड़ी बात', बदले में मिला वरदान
आज हम आपको एक प्रेरक कथा के बारे में बता रहे हैं.

Motivational Story: आज हम आपको एक प्रेरक कथा के बारे में बता रहे हैं, जिसे पढ़कर आप भी प्रभावित हुए बिना नहीं रहेंगे। इस कथा के केंद्र में एक विशाल पेड़ और चिड़िया है। एक समय चिड़िया के जवाब को सुनकर देवराज इंद्र भी अचंभित हो जाते हैं, उससे उनको बड़ी शिक्षा मिलती है और प्रसन्न होकर वे उसे एक वरदान देते हैं। आइए पढ़ते हैं यह प्रेरक कथा।

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एक समय की बात है। एक शिकारी था। उसे एक रोज कोई शिकार नहीं मिला। वह गुस्से में तीर और धनुष लेकर घने वन के अंदर चला गया। वह शिकारी अचूक निशाना लगाता था। उस दिन घने वन में उसे हिरणों का जोड़ा दिखाई दिया। उसने निशाना साधकर बाण चला दिया, निशाना चूक गया और ​हिरण वहां से भाग गए। वह जहरीला तीर एक विशाल वृक्ष में जाकर लग गया। उस बाण में इतना तीक्ष्ण जहर था कि उसका दुष्प्रभाव उस वृक्ष पर दिखने वाला था। यह बात शिकारी को पता थी। वह वहां से घर चला गया।

जहर के प्रभाव के कारण समय के साथ-साथ वह विशाल वृक्ष सूखने लगा। यह देखकर उस पर रहने वाले पक्षी डर गए और वहां से भागने लगे। धीरे-धीरे कर सभी ने वहां से प्रस्थान कर लिया, सिवाय एक चिड़िया के। चिड़िया चिंतित थी कि अब वह कैसे रहेगी। ये वृक्ष सूख रहा है। वह उस वृक्ष को छोड़कर दूसरे स्थान पर जाना नहीं चाहती थी। वर्षों तक उस वृक्ष पर अपना जीवन व्यतीत करने वाले उसके साथी वहां से चले गए थे। यह सब देवराज इंद्र भी देख रहे थे।

एक दिन इंद्र एक ब्राह्मण के वेश में वहां पर पहुंचे। उन्होंने उस चिड़िया से पूछा कि वह भी इस वृक्ष को छोड़कर क्यों नहीं चली जाती? यह वृक्ष अब सूख गया है, दोबारा इसके हरे होने की संभावना भी नहीं है। अब इसे छोड़ दो, किसी दूसरे विशाल वृक्ष पर अपना घोंसला बना लो। चिड़िया बोली, मैंने आपको पहचान लिया है। देवराज इंद्र आपका स्वागत है। चिड़िया की इस बात से आश्चर्य में पड़ गए। उन्होंने चिड़िया से कहा कि तुम इसे छोड़ दो। सूखे पेड़ में फल नहीं लगेंगे। दूसरे हरे वृक्ष में फल मिलेंगे। तुम वहां क्यों नहीं जाती?

इस पर चिड़िया ने कहा कि हे देवराज! मैंने अपना बचपन इस पेड़ की डालियों पर खेलकूद कर बिताया है। इसी घोसले में आंखें खोली हैं। इसके पत्तों पर ही गंदगी की है। तूफान, बारिश, गर्मी और सर्दी में इस वृक्ष ने हमेशा मेरी रक्षा की है। हर संकट से मुझे बचाया है। अब इस वृक्ष पर संकट आया है तो मैं कैसे इसका साथ छोड़कर भाग जाऊं। इस संकट की घड़ी में मैं इसका साथ नहीं छोड़ सकती। अब तो इसके साथ ही जीना है और इसके साथ ही मरना है।

उस चिड़िया की बातें सुनकर इंद्र बहुत खुश हुए। उन्होंने उससे वरदान मांगने को कहा। तब चिड़िया ने कहा कि यदि कोई वरदान देना ही है तो इस विशाल वृक्ष को दीजिए, ताकि यी फिर हरा भरा हो जाए। इंद्र ने कहा कि ऐसा ही होगा। वह वृक्ष फिर से हरा भरा हो गया। सभी पक्षी वापस उस पर रहने लगे। उसके फल खाने लगे। उस चिड़िया से देवराज इंद्र को भी बड़ी सीख मिली। मित्र पर ​यदि संकट आए तो उसका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। उसकी हर संभव मदद करनी चाहिए।


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