Move to Jagran APP

Motivational Story: डरकर रुकना नहीं है, बल्कि डर के आगे जीत है, पढ़ें बंदर की प्रेरक कथा

Motivational Story तुम चाहो तो इस पेड़ की निचली डाली से कड़ी पत्तियों को तोड़ सकते हो या फिर ऊपर की पतली डाली से नर्म पत्तियों को तोड़ सकते हो। बंदर ने कहा हां दे तो सकता हूँ लेकिन तुम खुद अपने लिए पत्तियां तोड़ोगे तो ज्यादा सही होगा।

By Ritesh SirajEdited By: Published: Tue, 03 Aug 2021 11:30 AM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 11:30 AM (IST)
Motivational Story: डरकर रुकना नहीं है, बल्कि डर के आगे जीत है, पढ़ें बंदर की प्रेरक कथा
Motivational Story: डरकर रुकना नहीं है, बल्कि डर के आगे जीत है, पढ़ें बंदर की प्रेरक कथा

Motivational Story: जीवन में हमेशा आगे की तरफ बढ़ना चाहिए। चाहे मार्ग में कितनी बाधा क्यों न आ जाए। हमें हमेशा नए संभावनाओं का तलाश करना चाहिए क्योंकि जब तक हम डरकर रूके रहेंगे, आगे नहीं बढ़ेंगे। हमें डरकर रुकना नहीं, आगे बढ़ना है, इसीलिए कहा गया है कि डर के आगे जीत है। जो भी व्यक्ति निराश या हताश होकर रूक जाता है, वह कभी भी आगे नहीं बढ़ पाता है। आज हम इस पर आधारित एक कहानी बंदर की सीख पढ़ते हैं।

loksabha election banner

एक बंदर बड़े पेड़ की डाली पर अपने परिवार के साथ था। वह बंदरों का सरदार भी था। तभी सरदार बंदर के बच्चे ने कहा कि मुझे भूख लगी है। क्या आप मुझे खाने के लिए कुछ पत्तियां दे सकते हैं? सरदार बंदर ने कहा, हां, दे तो सकता हूँ, लेकिन तुम खुद अपने लिए पत्तियां तोड़ोगे तो ज्यादा सही होगा। सरदार बंदर के बच्चे ने उदास होते हुए जवाब दिया कि मुझे अच्छी पत्तियों की पहचान नहीं है। बंदर ने जवाब दिया कि तुम्हारे पास एक विकल्प है। तुम चाहो तो इस पेड़ की निचली डाली से कड़ी पत्तियों को तोड़ सकते हो या फिर ऊपर की पतली डाली से नर्म पत्तियों को तोड़ सकते हो।

सरदार बंदर का बच्चा बोला कि नर्म पत्तियां नीचे क्यों नहीं उग सकतीं हैं। ताकि सभी लोग आसानी से इसे तोड़कर खा सकें। बंदर ने जवाब दिया कि अगर नर्म पत्तियां नीचे होतीं तो उसकी पहुंच सभी तक होती, तो उसका क्या ही महत्व होता। उनके बढ़ने से पहले ही उन पत्तियों को तोड़ लिया जाता। सरदार बंदर के बच्चे ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इन पतली डालियों पर चढ़ना खतरनाक है, इससे डाल टूट सकती है, मेरा पांव फिसल सकता है, मै नीचे गिरकर चोटिल भी हो सकता हूँ।

सरदार बंदर ने कहां, देखो बेटा! एक बात हमेशा याद रखना कि हम अपने दिमाग में किसी काम के खतरे को लेकर ज्यादा सोच लेते हैं। लेकिन वह खतरा इतना बड़ा नहीं होता है। उसने कहा कि ज्यादातर बंदर के अंदर डर भर चुका है। इसलिए वे सड़ी गली पत्तियां खाकर अपना गुजारा कर लेते हैं। लेकिन तुम ऐसा मत करना, जंगल में तमाम संभावनाएं हैं, बस तुम्हें उन संभावनाओं को तलाशना है। सरदार बंदर का बच्चा बात समझ गया, उसने अपने डर को पीछे छोड़ते हुए ताजे नरम पत्तों से भूख मिटाई।

कहानी की शिक्षा

हमें हमेशा नए संभावनाओं की तलाश करना चाहिए क्योंकि जब तक हम डरकर रूके रहेंगे, आगे नहीं बढ़ेंगे। हमें डरकर रुकना नहीं, आगे बढ़ना है, इसीलिए कहा गया है कि डर के आगे जीत है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.