Motivational Story: अर्थ ग्रहण करें, अनर्थ नहीं, पढ़ें एक व्यापारी की प्रेरक कथा
Motivational Story दैनिक जीवन में कई ऐसी घटनाएं होती हैं जो हमें प्रेरणा देती हैं। उनमें हर व्यक्ति के लिए कुछ न कुछ संदेश छिपा होता है। कुछ लोग उस घटना के सकारात्मक पक्ष को देखते हैं तो कुछ लोग उसके नकारात्मक पक्ष को।
Motivational Story: दैनिक जीवन में कई ऐसी घटनाएं होती हैं, जो हमें प्रेरणा देती हैं। उनमें हर व्यक्ति के लिए कुछ न कुछ संदेश छिपा होता है। कुछ लोग उस घटना के सकारात्मक पक्ष को देखते हैं, तो कुछ लोग उसके नकारात्मक पक्ष को। हालांकि यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह किसी घटना से क्या सीख लेना चाहता है। आइए पढ़ते हैं एक व्यापारी की प्रेरक कथा।
एक जिज्ञासु व्यक्ति ईश्वर को खोजने तीर्थाटन हेतु गया। उसके मन में यह संशय था कि ईश्वर है या नहीं। वह एक जंगल से गुजर रहा था। वहां उसने एक अपाहिज लोमड़ी को पड़े देखा। लोमड़ी के पैर नहीं थे, किंतु स्वस्थ थी। उसे आश्चर्य हुआ। तभी उसने शेर को मुंह में एक खरगोश दबाए आते देखा। डरकर व्यक्ति पेड़ पर चढ़ गया। उसने देखा कि शेर लोमड़ी के पास भोजन डालकर चला गया, जिसे लोमड़ी खाने लगी।
अब उसे घोर आश्चर्य होने लगा। उसे लगने लगा कि वाकई ईश्वर होता है, उसी ने शेर के मन में दया पैदा कर दी। अब उसने तय कर लिया कि मैं बेकार ही दुनिया के झमेलों में पड़ा हूं। भगवान ही मेरा भला करेंगे। काम-धाम छोड़कर व्यापारी वहीं बैठ गया। भूख-प्यास सताती रही, दिन-प्रतिदिन कमजोर होता रहा। एक दिन मरणासन्न हो गया।
उधर से एक संन्यासी गुजर रहे थे। उन्हें उस पर दया आई, पूछा- तुम्हारी यह हालत कैसे हुई? तो उसने पूरी कहानी कह दी और बोला- मुझे विश्र्वास हो गया था कि ईश्वर है, लेकिन अब तो लगता है कि ईश्वर कहीं नहीं है। इस पर संन्यासी बोले - तुमने जो दृश्य देखा, उसमें ईश्वर ने तुम्हें शेर बनने का संदेश दिया था, लेकिन तुम लोमड़ी बनने लगे, तो इसमें भगवान का क्या दोष..?
कथा-मर्म
शिक्षा हमें कहीं से भी मिल सकती है, यह हम पर है कि हम उससे क्या अर्थ ग्रहण करते हैं।