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Thursday Motivational Quotes: क्यों बंद थे मंदिरों-मस्जिदों के दरवाजे, कहां थे भगवान-खुदा?

Thursday Motivational Quotes जैन समुदाय के क्रांतिकारी संत कहलाए जाने वाले तरुण सागर ने कहा था कि लड़ लेना झगड़ लेना मार देना पीट देना पर बात करना बंद मत करना।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 12:20 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 12:21 PM (IST)
Thursday Motivational Quotes: क्यों बंद थे मंदिरों-मस्जिदों के दरवाजे, कहां थे भगवान-खुदा?
Thursday Motivational Quotes: क्यों बंद थे मंदिरों-मस्जिदों के दरवाजे, कहां थे भगवान-खुदा?

Thursday Motivational Quotes: आज गुरुवार है। मां सरस्वती को नमन करने का, गुरु ब्रहस्पति को प्रसन्न करने का और साईं बाबा की सीख से आगे का जीवन व्यतीत करने का वार है। पूरी दुनिया में जब कोरोना के चलते मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च बंद रहे, तो कहीं किसी ने सोशल मीडिया पर बहुत खूबसूरत पंक्तियां शेयर की। वो ये थी कि जानते हैं क्यों सारे धर्मस्थलों पर ताला लगा है, वो इसलिए कि वहां का भगवान और खुदा तो सफेद कोट पहन कर लोगों की सेवा में अस्पतालों में व्यस्त है। सच में इस कोरोना आपदा ने डॉक्टर्स के प्रति लोगों का नजरिया और भी सकारात्मक कर दिया है। उन्हें भगवान की उपमा गलत नहीं दी गई है।

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ऐसे ही सकारात्मक विचार जीवन जीने का तरीका बदल देते हैं। कुछ इसी तरह के विचार आज जागरण आध्यात्म के इस लेख में हम आप तक पहुंचा रहे हैं। जैन समुदाय के क्रांतिकारी संत कहलाए जाने वाले तरुण सागर ने कहा था कि लड़ लेना, झगड़ लेना, मार देना, पीट देना, पर बात करना बंद मत करना। बात करना बंद करने से सुलह के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।

आचार्य रजनीश यानी कि ओशो के शब्द उधार लूं, तो जिंदगी कोई मुसीबत नहीं है, बल्कि ये तो खूबसूरत तोहफा है। आचार्य रजनीश के दुनियाभर में फॉलोवर रहे। हालांकि उनके बहुत से विचारों पर विवाद भी रहे, लेकिन यहां वो जीवन को जंजाल मानने वालों को साफ कहना चाह रहे हैं, कि तोहफा किसी और का दिया हुआ होता है, जैसा दिया गया है, उसे वैसे ही खुशी खुशी स्वीकार करना है, होता है। उसमें मीन मेख नहीं निकाले जाते। हां, उसे संवार कर और बेहतर बनाया जा सकता है।

महान विचारक सुक्रात के विचार थे कि अगर महान बनना चाहते हैं तो दूसरों से बिलुकल वैसा व्यवहार करें जैसा कि आप दूसरों से अपने लिए चाहते हैं। ये बिलुकल व्यवहारिक बात है। हम सम्मान की उम्मीद बहुत करते हैं पर देना भूल जाते हैं। इसलिए सुक्रात जी के विचार जीवन में अमल लाइए। जाने अनजाने भी किसी का अपमान मत कीजिए। विनम्रता इंसानीयत की पहली शर्त मानकर इंसान बनना चाहिए।

-अमित शर्मा


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