सुबह-ए-बनारस को सुरों की शाम का प्रणाम
बनारस की पहचान से जुड़ी सजीली सुबह को सुरों से सजी रविवार की शाम ने प्रणाम भेजा। इसमें आराधना के राग पिरोये और रच-रच कर स्तुति के भाव भी सजोये। इसे काशी-विश्वनाथ और गंगे को समर्पित किया। मौका था उत्तर प्रदेश पत्रकार परिषद, जिला सांस्कृतिक समिति व जिला प्रशासन की
वाराणसी । बनारस की पहचान से जुड़ी सजीली सुबह को सुरों से सजी रविवार की शाम ने प्रणाम भेजा। इसमें आराधना के राग पिरोये और रच-रच कर स्तुति के भाव भी सजोये। इसे काशी-विश्वनाथ और गंगे को समर्पित किया। मौका था उत्तर प्रदेश पत्रकार परिषद, जिला सांस्कृतिक समिति व जिला प्रशासन की ओर से अस्सीघाट पर आयोजित संगीत संध्या का।
पं. महेंद्र प्रसन्ना ने साथियों के साथ बांसुरी की तान छेड़ी। 'गंगा द्वारे बधइया बाजे... और 'वैष्णव जन... धुन बजाया। पं. विजय कपूर ने 'मर्यादा है इस देश की पहचान है गंगा... गीत से भारत व गंगा के संबंधों का बखान किया। राग मालकौंस में ब्रह्मानंद की रचना 'शंकर तेरी जटा से बहती है गंगधारा... से देवाधिदेव का गुणगान किया। व्यास मौर्या ने स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती रचित गंगा को नमन करता भक्ति भावों से सजा गीत सुनाया। विभा शुक्ला ने चिरपरिचित गीत 'सत्यम शिवम सुंदरम... को हरदम गंगा की लहरों पर गूंजने की कामना संग विस्तार दिया। विदिशा हाजरा व शिवानी सोनकर के साझा सुरों में होली का रंग बिखर आया। सुचिता कुजूर, अनन्या त्रिपाठी व नेहा केशरी ने भरतनाट्यम में गणेश वंदना के भाव सजाए। तरित जंभ समेत भरतनाट्यम की प्रस्तुतियां प्रस्तुत कर दर्शकों को विभोर किया। बतौर मुख्य अतिथि बीएचयू के कुलपति प्रो. गिरिश चंद्र त्रिपाठी ने कला व संस्कृति के प्रति सजग रहने का संदेश दिया। इस दौरान विशिष्टजनों को सम्मानित किया गया। शास्त्रीय गायक पद्मभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र, प्रो. राणा गोपाल सिंह, सुलभ इंटरनेशनल के डा. वीएन चतुर्वेदी आदि की खास उपस्थिति थी। स्वागत परिषद अध्यक्ष राजेश मिश्र, संचालन प्रदेश महासचिव हरेंद्र शुक्ला व संयोजन सुनील शुक्ल ने किया।