Mantras of Shani Dev: माघ माह के शनिवार को करें शनिदेव के इन मंत्रों का जाप, दूर होगा शनिदोष
Mantras of Shani Dev माघ माह में शनिवार के दिन शनिदेव को काले तिल और सरसों तेल अर्पित करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।इस दिन शनिदेव के पौराणिक मंत्रों का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से शनि की महादशा से मुक्ति मिलती है..
Mantras of Shani Dev : माघ माह में शनिदेव का पूजन विशेष फल प्रदान करता है। पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव को उनके पित सूर्य देव ने वरदान दिया था। मकर राशि शनिदेव का दूसरा घर है। जब तक सूर्य देव मकर राशि में रहते हैं, उस काल में शनि भक्तों का कोई भी अनिष्ट नहीं होता है। माघ मास में काले तिल के पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस माह में तिल से संबंधित कई त्योहार मनाए जाते हैं। काले तिल शनिदेव को विशेष प्रिय होते हैं। माघ माह में शनिवार के दिन शनिदेव को काले तिल और सरसों तेल अर्पित करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। जिन लोगों की कुण्डली में किसी भी तरह का शनिदोष व्याप्त हो या शनि की महादशा चल रही हो। उन्हें माघ माह के शनिवार को शनिदेव के पौराणिक मंत्रों का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से शनि की महादशा से मुक्ति मिलती है और सभी कष्ट दूर होते हैं....
1.शनि देव का महामंत्र –
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनके महामंत्र का जाप करें...
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
2.शनिदेव का पौराणिक मंत्र –
शनिदेव को नीले रंग के फूल अर्पित कर, इस मंत्र का जाप करें कुण्डली में व्याप्त शनिदोष होगा दूर।
ऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।
3. शनिदेव का वैदिक मंत्र –
शनि देव के इन मंत्रों का जाप शनि की महादशा से मुक्ति मिलती है।
ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
4. शनिदेव का गायत्री मंत्र –
शनिदेव का गायत्री मंत्र सभी कष्ट और संकट दूर करता है। शनि देव को काले तिल और सरसों का तेल चढ़ा कर इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
5. स्वास्थ्य के लिए शनि मंत्र –
आरोग्य प्राप्ति के लिए और स्वास्थ्य के लिए शनि देव के इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
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