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मनुष्य स्वयं मृत्यु को आमंत्रण देता है

अगर आप किसी वस्तु को पाना चाहते और आपके मन में उस वस्तु को पाने की प्रबल इच्छा है तो जबतक आप उसे प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक मर भी नहीं सकते।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 08 Feb 2017 03:04 PM (IST)Updated: Wed, 08 Feb 2017 03:08 PM (IST)
मनुष्य स्वयं मृत्यु को आमंत्रण देता है
मनुष्य स्वयं मृत्यु को आमंत्रण देता है

मृत्यु का अर्थ है वीरानापन, निष्क्रियता, और कार्यो से मुक्ति। इसलिए जो लोग वीरानापन नहीं चाहते, जीवन में आकर्षण बनाए रखते हैं, जिन्हें जीवन में कुछ करना शेष रहता है, जो कुछ पाना चाहते हैं, उन्हें मरने की फुर्सत नहीं है। उन्हें तो अभी कई काम पूरे करने हैं।

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ऐसा कई बार देखा गया है कि कोई व्यक्ति अगर किसी बड़े प्रोजेक्ट का खाका तैयार करता है और दिन-रात परिश्रम कर उसे पूरा करना चाहता है, तो जब तक प्रोजेक्ट पूरा नहीं होता, वह कभी बीमार नहीं पड़ता। उसे बीमार पडऩे की फुर्सत नहीं है। बीमार तो फुर्सत वाले लोग पड़ते हैं। हमारे समाज में कुछ लोग तो ऐसे भी हैं, जो बीमारी की संभावना देखकर बीमार पड़ जाते हैं। ऐसे ही लोग असफल होने के भय से सफलता का प्रयास ही नहीं करते। सच पूछा जाए, तो जिजीविषा का अर्थ इन्हें पता नहीं है।

मुझे स्मरण है कि मेरे गांव में मेरी चाची बहुत बुजुर्ग हो गई थीं। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था, लेकिन वह बार-बार यही कहती थीं कि 'बबुआ को बुला दीजिए।Ó वहां पहुंचने में मुझे तीन दिन लग गए। मैं जब वहां पहुंचा, तो जाते ही मैंने उन्हें प्रणाम किया। उन्होंने अपना हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया, फिर आंखें मूंद लीं। यह थी प्रतीक्षा। इसका अर्थ है कि चाची मुझे बहुत स्नेह करती थीं। उनका कोई अपना बेटा नहीं था। इसलिए अंत समय में जब तक वह मुझसे मिलीं नहीं, जीवित रहीं।

इस घटना से स्पष्ट होता है कि अगर आप किसी वस्तु को पाना चाहते हैं और आपके मन में उस वस्तु को पाने की प्रबल इच्छा है तो जब तक आप उसे प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक मर भी नहीं सकते। मृत्यु तो उसके पास आती है, जो मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि मृत्यु को तुम्हारा पता-ठिकाना कुछ मालूम नहीं है। आप तो स्वयं उसे आमंत्रित करके घर बुलाते हैं। आपके पास मृत्यु के आने में कोई दिक्कत न हो, उसके लिए आपने स्वयं सारे मार्ग बना दिए हैं। आपने ऐसी परिस्थितियां पैदा कर दी हैं कि अब तो मृत्यु को आना ही पड़ेगा।

मनुष्य स्वयं मृत्यु को आमंत्रण देता है, क्योंकि उसे जिजीविषा के अर्थ का ज्ञान नहीं है। उसके लिए जिजीविषा कोरे कागज पर लिखा एक शब्द है। ऐसे ही लोग मृत्यु को प्राप्त करते हैं। दरअसल, मृत्यु का अर्थ है अनंत ब्रह्मांड से संबंध विच्छेद।


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