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भीष्म पितामह मकर संक्रांति के ही दिन मृत्यु लोक छोड़ देव शरीर में प्रवेश कर गए थे

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही ऐसे न जाने कितने लाभ इस नश्र्वर संसार को मिलने शुरू हो जाते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 04 Jan 2017 03:41 PM (IST)Updated: Thu, 05 Jan 2017 10:53 AM (IST)
भीष्म पितामह मकर संक्रांति के ही दिन मृत्यु लोक छोड़ देव शरीर में प्रवेश कर गए थे
मकर संक्रांति पर्व के महत्व और लाभ के तमाम अध्याय सूर्य के इर्द-गिर्द ठहरे हुए हैं।

मकर संक्रांति पर्व के महत्व और लाभ के तमाम अध्याय सूर्य के इर्द-गिर्द ठहरे हुए हैं। इस तिथि से जुड़े कुछ ऐसे अध्याय भी हैं, जिनकी चर्चा महाभारत काल से लेकर आज तक जीवंत है।

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महाभारत के अजेय योद्धा भीष्म पितामह मकर संक्रांति ही के दिन मृत्यु लोक छोड़ देव शरीर में प्रवेश कर गए थे। उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था। यह भी कि यह वही संयोग है, जब भगीरथ अपने साथ भगवती गंगा को लेकर गंगा सागर पहुंचे थे। यही वजह है कि मकर संक्रांति पर्व पर ही प्रयाग की तरह गंगा सागर में भी बड़ी संख्या में लोग स्नान करते हैं। यही नहीं सावन-भादों में जितनी जड़ी-बूटी पल्लवित होती हैं, मकर संक्रांति से ही उनकी परिपक्वता शुरू होती है।

मां गंगे अनगिनत पहाड़ों और जंगलों से होते हुए प्रयाग पहुंचती हैं, ऐसे में गंगा मां के पानी में जड़ी-बूटियों की अथाह प्रचुरता होती है, जिससे तमाम रोग गंगे स्नान से ही छू मंतर हो जाते हैं। मकर संक्रांति पर्व के महत्व की चर्चा में वह यह बताना नहीं भूलते कि शहद निर्माण की शुरुआत भी इसी माह से होती है, यह सर्व विदित है कि शहद स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही ऐसे न जाने कितने लाभ इस नश्र्वर संसार को मिलने शुरू हो जाते हैं।read- गुरु नानक ने इन शक्तियों को मानते हुए इसके साथ एक का अंक लगा दिया


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