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Makar Sankranti 2019: भारत के अलग-अलग हिस्‍सों में इन 10 अलग-अलग नामों से पुकारी जाती है मकर संक्रांति

भारत में मकर संक्रान्ति विभिन्न प्रान्तों में कर्इ नामों से मनाने का प्रचलन है। चलिए Makar Sankranti 2019 पर जानते हैं इस पर्व के 10 अलग अलग नाम।

By Molly SethEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 01:24 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 01:24 PM (IST)
Makar Sankranti 2019: भारत के अलग-अलग हिस्‍सों में इन 10 अलग-अलग नामों से पुकारी जाती है मकर संक्रांति
Makar Sankranti 2019: भारत के अलग-अलग हिस्‍सों में इन 10 अलग-अलग नामों से पुकारी जाती है मकर संक्रांति

राज्यों के अनुसार बंटे हैं नाम

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खास बात ये है कि मकर संक्राति के विभिन्न नाम राज्यों के हिसाब से बंटा है। यहां हम आपको बता रहे हैं एेसे ही दस नामों के बारे में। ये नाम छत्तीसगढ़, गोआ, ओडिशा, हरियाणा, बिहार, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, और जम्मू में चलन में है।  जैसे तमिलनाडु में इसे ताइ पोंगल आैर उझवर तिरुनल बुलाते हैं जबकि गुजरात में ये उत्तरायण नाम से जाना जाता है। वहीं पंजाब में इसे लोहड़ी नाम से एक दिन पहले 13 तारीख को ही मना लिया जाता है। 

उत्तर प्रदेश आैर बिहार  में खिचड़ी

उत्तर प्रदेश में यह मुख्य रूप से 'दान का पर्व' है। इस अवसर पर इलाहाबाद में संगम पर एक माह तक चलने वाले माघ मेले की भी शुरूआत हो जाती है। लगता है जिसे माघ मेले के नाम से जाना जाता है। 14 जनवरी से ही इलाहाबाद में हर साल माघ मेले की शुरुआत होती है। एेसी भी मान्यता है कि 14 जनवरी यानी मकर संक्रान्ति से पृथ्वी पर अच्छे दिनों की शुरुआत होती है। इस अवसर पर गंगा सहित कर्इ पवित्र नदियों के तट पर मेले लगते है। समूचे उत्तर प्रदेश में इस व्रत को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है तथा इस दिन खिचड़ी खाने आैर दान देने का अत्यधिक महत्व होता है। इसके साथ ही बिहार में भी मकर संक्रान्ति को खिचड़ी नाम से जाता हैं। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का महत्त्व होता है।

महाराष्ट्र की मकर संक्रांति

महाराष्ट्र में इस दिन को मकर संक्रांति ही कहा जाता है। इस दिन वे सभी विवाहित महिलायें जिनके विवाह के बाद ये पर्व पहली बार होता है कपास, तेल व नमक आदि चीजें दूसरी सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं। इस दिन तिल गूल के हलवे को बांटने की प्रथा भी है। एक दूसरे को तिल गुड़ देते हुए बोलते हैं "लिळ गूळ ध्या आणि गोड़ गोड़ बोला" अर्थात तिल गुड़ लो और मीठा मीठा बोलो । इसके अलावा  छत्तीसगढ़, गोआ, ओड़ीसा, हरियाणा, बिहार के कुछ भाग, झारखण्ड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक के कुछ भाग, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, उत्तर प्रदेश के कुछ भाग, उत्तराखण्ड, पश्चिम बंगाल, और जम्मू में भी इसे मकर संक्रांति के नाम से ही मनाते हैं।

पश्चिम बंगाल की पौष संक्रान्ति

इस पर्व को पश्चिम बंगाल में पौष संक्रान्ति के नाम से बुलाते हैंं इस अवसर पर स्नान के बाद तिल दान करने की प्रथा है। मान्यता है मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। उसी के प्रतीक स्वरूप यहां हर साल गंगासागर में स्नान-दान के लिये वर्ष में केवल एक दिन मकर संक्रान्ति पर लोगों की अपार भीड़ जुटती है। इसीलिए कहते हैं "सारे तीरथ बार बार, गंगा सागर एक बार।"

तमिलनाडु का पोंगल आैर उझवर तिरुनल

तमिलनाडु में पोंगल के रूप में मकर संक्रांति चार दिन तक मनाते हैं। पहले दिन भोगी-पोंगल, दूसरे दिन सूर्य-पोंगल, तीसरे दिन मट्टू-पोंगल या केनू-पोंगल आखीर में चौथे आैर अन्तिम दिन कन्या-पोंगल। इसमें पहले दिन कूड़ा इकठ्ठा कर जलाया जाता है, दूसरे दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है और तीसरे दिन पशु धन की पूजा की जाती है। इस के बाद चौथे दिन स्नान करके खुले आंगन में मिट्टी के बर्तन में खीर बनायी जाती है, जिसे पोंगल कहते हैं। इसका सूर्य देव को भोग लगाया जाता है, जिसे प्रसाद के रूप में सभी ग्रहण करते हैं। इस दिन बेटी और जमाई राजा को विशेष रूप से न्यौता दिया जाता है, इसीलिए ये दिन कन्या पोंगल कहलाता है। तमिलनाडु में कुछ स्थानों पर इसे उझवर तिरुनल भी कहते हैं। 

असम का बिहू

भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में मकर संक्रान्ति को माघ बिहू या भोगाली बिहू के नाम से मनाया जाता है। इस समय असम में तिल, चावल, नारियल और गन्ने की फसल होती है। इसी की खुशी में इन चीजों से बने व्यंजन और पकवान बनाकर खाये और खिलाये जाते हैं। भोगाली बिहू पर होलिका भी जलाई जाती है और तिल व नारियल से बनाए व्यंजन अग्नि देवता को समर्पित किए जाते हैं। इस मौके पर टेकेली भोंगा नामक खेल खेला जाता है साथ ही भैंसों की लड़ाई भी होती है।

गुजरात में उत्तरायण

गुजरात में इस पर्व को उत्तरायण नाम से मनाया जाता है। नई फसल और ऋतु के स्वागत का ये त्योहार 14 और 15 जनवरी को मनाया जाता है। इस मौके पर गुजरात में पतंग उड़ाने की परंपरा है। इस दिन उत्तरायण का व्रत भी रखा जाता है और तिल व मूंगफली दाने की चक्की बनाई जाती है।

कर्नाटक में मकर संक्रमण

मकर संक्रांति को एक अन्य नाम मकर संक्रमण से भी बुलाते हैं। ये नाम कर्नाटक में प्रचलित है। हांलाकि बाकी सभी परंपरायें सामान्य रूप से वही हैं।

कश्मीर घाटी का शिशुर सेंक्रात

हांलाकि जम्मू में अधिकांश लोग इस पर्व को मकर संक्रांति के नाम से ही मनाते हैं परंतु कश्मीर घाटी के अनेक स्थानों पर इसे शिशुर सेंक्रात नाम से भी जाना जाता है।

हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब की माघी

इसी तरह हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, आैर पंजाब के कुछ हिस्सों में इस पर्व को माघी भी कहा जाता है।


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