Mahashivratri 2020: ऐसे करें महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव जी की पूजा-आरती एंव भक्ति, जीवन में होगी खूब तरक्की
Mahashivratri 2020 धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव जी एंव मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से व्रती को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।
नई दिल्ली, लाइफ स्टाइल डेस्क। Mahashivratri 2020:
हिंदी पंचागं अनुसार फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष 21 फरवरी को महाशिवरात्रि बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान शिव लिंग रुप में प्रकट हुए हैं, और इसी दिन सृष्टि का प्रादुर्भाव हुआ था। इसके साथ ही इस दिन देवों के देव महादेव एवं मां पार्वती का महामिलन अर्थात विवाह हुआ हैं। अत: महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है। सृष्टि के प्रारंभ से ही महाशिवरात्रि के दिन देवों के देव महादेव एवं मां पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन महादेव एवं मां पार्वती के विवाह कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है।
धार्मिक मान्यता अनुसार इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव जी एंव मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से व्रती को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही भगवान शिव के स्वरुप भैरव देव काल, कष्ट एवं दुख: हर लेते हैं। महाशिवरात्रि के दिन पूजा-अर्चना का अति विशेष महत्व है। ऐसे में भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना कैसे करें, इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं।
पूजा सामग्री
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव जी की पूजा हेतु पूजा सामग्री निम्न है। पंच फल, जनेऊ, पंच मिष्ठान, कपूर, धूप, दीप, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, आम्र मंजरी, जौ की बालें, तुलसी दल गंगा जल, बेल पत्र, धतूरा,शमी के पत्ते, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, रोली, मौली, रूई, चंदन, सुगंधित पुष्प आदि।
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें, इसके बाद स्नान-ध्यान से निवृत होकर वस्त्र धारण कर, आमचन कर व्रत का संकल्प लें। तदोउपरांत शिवलिंग पर गंगाजल से जलाभिषेक करें। जब शिव जी का जलाभिषेक करें तो जल में चावल और चंदन डालकर "ऊं नम: शिवाय" मंत्र का उच्चारण करते हुए जलाभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव जी की को बारी-बारी से पूजा सामाग्री अर्पित करें। जब बेल पत्र अर्पित करें तो निम्न मंत्र का जाप करें।
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
इसके बाद शिवजी को शमी के पत्ते अर्पित करें। फिर धूप-दीपक और कपूर से आरती करें।
पूजा का शुभ मुहर्त
धार्मिक मान्यता अनुसार शिवरात्रि के दिन 'निशीथ काल' में शिवजी की पूजा करने से व्यक्ति विशेष को सौ यज्ञों के समतुल्य फलों की प्राप्ति होती है।