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Maharishi Dayanand Saraswati Jayanti 2021: पढ़ें महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल वचन

Maharishi Dayanand Saraswati Jayanti 2021 महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की आज जयंती है। दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान चिन्तक समाज-सुधारक तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। इन्होंने हमेशा से ही वेदों की सत्ता को सबसे ऊपर माना है।

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Mon, 08 Mar 2021 02:23 PM (IST)Updated: Mon, 08 Mar 2021 02:23 PM (IST)
Maharishi Dayanand Saraswati Jayanti 2021: पढ़ें महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल वचन
Maharishi Dayanand Saraswati Jayanti 2021: पढ़ें महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल वचन

Maharishi Dayanand Saraswati Jayanti 2021: महर्षि स्वामी दयानंद सरस्वती की आज जयंती है। दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक, तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। इन्होंने हमेशा से ही वेदों की सत्ता को सबसे ऊपर माना है। ये वेदों के प्रचारक थे। उनका प्रमुख नारा वेदों की ओर लौटो था। उन्हें ऋषि कहा जाता था क्योंकि उन्होंने वेदों का भाष्य किया था। महर्षि दयानंद सरस्वती एक संयासी थे। उन्होंने बाल विवाह, सती प्रथा जैसी कुरीतियों को खत्म करने में समाज में बड़ा योगदान दिया। आइए पढ़ते हैं इनके अनमोल विचार।

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पढ़ें महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती के अनमोल विचार:

1. नुकसान से निपटने में सबसे जरूरी चीज है उससे मिलने वाले सबक को ना भूलना। वो आपको सही मायने में विजेता बनाता है।

2. मनुष्यों के भीतर संवेदना है, इसलिए अगर वो उन तक नहीं पहुंचता जिन्हें देखभाल की ज़रुरत है तो वो प्राकृतिक व्यवस्था का उल्लंघन करता है।

3. सबसे उच्च कोटि की सेवा ऐसे व्यक्ति की मदद करना है जो बदले में आपको धन्यवाद कहने में असमर्थ हो।

4. आप दूसरों को बदलना चाहते हैं ताकि आप आज़ाद रह सकें। लेकिन, ये कभी ऐसे काम नहीं करता। दूसरों को स्वीकार करिए और आप मुक्त हैं।

5. प्रबुद्ध होना- ये कोई घटना नहीं हो सकती। जो कुछ भी यहां है वह अद्वैत है। ये कैसे हो सकता है? यह स्पष्टता है।

6. जीवन में मृत्यु को टाला नहीं जा सकता। हर कोई ये जानता है, फिर भी अधिकतर लोग अंदर से इसे नहीं मानते- ‘ये मेरे साथ नहीं होगा।’ इसी कारण से मृत्यु सबसे कठिन चुनौती है जिसका मनुष्य को सामना करना पड़ता है।

7. भगवान का ना कोई रूप है ना रंग है। वह अविनाशी और अपार है। जो भी इस दुनिया में दिखता है वह उसकी महानता का वर्णन करता है।

8. लोगों को भगवान को जानना और उनके कार्यों की नक़ल करनी चाहिए। पुनरावृत्ति और औपचारिकताएं किसी काम की नहीं हैं। 


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