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Bhaum Pradosh Vrat 2021: आज है भौम प्रदोष व्रत, जानें पूजा मुहूर्त, तिथि एवं महत्व

Bhaum Pradosh Vrat 2021 माघ मास के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत आज मंगलवार के दिन पड़ रहा है इसलिए यह भौम प्रदोष व्रत है। जागरण अध्यात्म में आज हम माघ मास के भौम प्रदोष व्रत के पूजा मुहूर्त तिथि और महत्व के बारे में बता रहे हैं।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2021 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 05:56 AM (IST)
Bhaum Pradosh Vrat 2021: आज है भौम प्रदोष व्रत, जानें पूजा मुहूर्त, तिथि एवं महत्व
Bhaum Pradosh Vrat 2021: आज है भौम प्रदोष व्रत, जानें पूजा मुहूर्त, तिथि एवं महत्व

Bhaum Pradosh Vrat 2021: माघ मास के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत आज मंगलवार के दिन है, इसलिए यह भौम प्रदोष व्रत है। माघ मास का भौम प्रदोष व्रत 09 फरवरी दिन मंगलवार को है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव तथा माता पार्वती की विधि विधान से पूजा की जाती है। भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति सभी प्रकार के कर्ज से मुक्त हो जाता है। हिन्दी पंचांग के अनुसार, प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है। दिन के अनुसार इसके नाम भी बदल जाते हैं। जागरण अध्यात्म में आज हम माघ मास के भौम प्रदोष व्रत के पूजा मुहूर्त, तिथि और महत्व के बारे में बता रहे हैं।

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माघ भौम प्रदोष 2021 मुहूर्त

माघ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 09 फरवरी दिन मंगलवार को तड़के 03 बजकर 19 मिनट पर हुआ है, जो उसी दिन देर रात 02 बजकर 05 मिनट तक है। ऐसे में माघ मास का प्रदोष व्रत 09 फरवरी को रखा जाएगा।

प्रदोष पूजा मुहूर्त

09 फरवरी के दिन भौम प्रदोष व्रत की पूजा के लिए आपको 02 घंटे 35 मिनट का समय प्राप्त होगा। मंगलवार के दिन आप शाम को 06 बजकर 07 मिनट से रात 08 बजकर 42 मिनट के मध्य भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व

जिन लोगों का जीवन कर्ज के भार से दबा हुआ होता है, उन लोगों को भौम प्रदोष व्रत रखने की सलाह दी जाती है। भगवान ​भोलेनाथ की कृपा से वह व्यक्ति सभी प्रकार के कर्ज से मुक्त हो जाता है। इतना ही नहीं, उसे निरोगी जीवन, संतान सुख, सुख, समृद्धि आदि की भी प्राप्ति होती है।

वर्ष 2021 के प्रदोष व्रत कब कब हैं?

प्रदोष शिव पूजा

भौम प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय आपको देवों के देव महादेव को भांग, बेलपत्र, धतूरा, मदार अर्पित करना चाहिए। उनका गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए। पूजा के समय शिव मंत्रों का जाप, शिव पुराण तथा शिव चालीसा का पाठ करना उत्तम होता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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