Yashoda Jayanti 2019: यह है कान्हा की मैय्या का जन्मोत्सव
यशोदा जयन्ती श्रीकृष्ण का लालन पालन करने वाली माता यशोदा के जन्मदिवस के रूप में मनार्इ जाती है।
कन्हैया की मैय्या का जन्मदिवस
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान श्री कृष्ण की पालक माता यशोदा की जयंती होती है। पौराणिक मान्यताआें के अनुसार माता यशोदा का जन्म फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की इसी तिथि को हुआ था। इस वर्ष ये पर्व 24 फरवरी,2019 रविवार को है। इस दिन कृष्ण मंदिरों में विशेष रूप से उत्सव मनाया जाता है। विशेष रूप से इस त्योहार को गोकुल में मनाने की परंपरा है क्योंकि यहीं पर यशोदा जी ने श्री कृष्ण का लालन पालन किया था। यशोदा जयंती का त्योहार विशेष रूप से गोकुल मे मनाया जाता है। इस दिन यशोदा जी की पूजा की जाती है, जिसमें और कृष्ण जी की कथायें कही और सुनी जाती है। गुजरात में भी यशोदा जयंती मानाने का चलन है।
यशोदा आैर श्री कृष्ण की अनोखी कथा
पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण को जन्म देने वाली माता देवकी का विवाह वसुदेव से हुआ था। विवाह के समय हुर्इ एक आकाशवाणी के अनुसार देवकी के भार्इ कंस की मृत्यु उनके आठवें पुत्र के हाथों होनी थी। यह आकशवाणी सुनकर कंस ने अपनी बहन आैर उनके पति वसुदेव को काल-कोठरी में बंद कर दिया, और एक-एक कर दोनों के पुत्रों को जन्म के बाद मारने लगा। एेसे में जब कृष्ण जी का जन्म हुआ जो भगवान विष्णु के अवतार माने गए, तब अपने-आप ही काल-कोठरी के सारे दरवाजे खुल गये और सभी सैनिक सो गये। अवसर पा कर वसुदेव जी ने बाल कृष्ण को एक टोकरे मे डाल कर यमुना नदी के पार अपने मित्र नंद के पास ले गए। नंद ने बच्चे को अपनी पत्नी यशोदा की सद्यजात कन्या से बदल दिया, जिसे वसुदेव अपने साथ ले गए। ये बच्ची योगमाया का अवतार कही जाती है। जब कंस को सूचना मिली कि देवकी ने पुत्री को जन्म दिया है तो वह उसे भी मारने आया लेकिन योगमाया उड़कर आकाश में चली गई और उसने कहा कि कंस तुम्हें मारने वाला जन्म ले चुका है। इधर कृष्ण का माता यशोदा ने बहुत लाड़-प्यार से पालन पोषण किया। तभी से यशोदा हिंदु मान्यताआें के अनुसार बेहद आदरणीय मानी जाती हैं आैर उनके जन्मोत्सव को बेहद श्रद्घा के साथ मनाया जाता है।