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तीन लाख ने लगाई संतति कामना की डुबकी

दो माह के शुक्ल पक्ष के छठें दिन शनिवार को लोलार्क षष्ठी पर संतति कामना से लगभग तीन लाख लोगों ने लोलार्क कुंड में डुबकी लगाई। संकल्पों के साथ पति-पत्नी ने एक साथ सविधि स्नान किया। भगवान सूर्य को समर्पित इस अनुष्ठान के जरिए उम्मीद की नई किरणों को समेटा

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2015 06:02 AM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2015 06:53 AM (IST)
तीन लाख ने लगाई संतति कामना की डुबकी

वाराणसी, जागरण संवाददाता। भादो माह के शुक्ल पक्ष के छठें दिन शनिवार को लोलार्क षष्ठी पर संतति कामना से लगभग तीन लाख लोगों ने लोलार्क कुंड में डुबकी लगाई। संकल्पों के साथ पति-पत्नी ने एक साथ सविधि स्नान किया। भगवान सूर्य को समर्पित इस अनुष्ठान के जरिए उम्मीद की नई किरणों को समेटा और पुराने वस्त्र आदि तक का त्याग किया। षष्ठी माता को पुष्प व शृंगार सामग्री अर्पित की। लोकमानस में संतति की मान्यता प्राप्त भथुआ, लौकी, कोहड़ा के साथ बेल, धतूरा या कदंब चढ़ा कर इसे आजीवन न खाने का संकल्प लिया।

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विज्ञान और तकनीक के इस दौर में भी धार्मिक मान्यताओं की समृद्धि का प्रमाण ही था यह कि लोलार्क कुंड में स्नान के लिए शुक्रवार की शाम से ही कतार लग गई। हालांकि षष्ठी तिथि तो रात आठ बजे ही लग गई लेकिन श्रद्धालुओं ने अंग्रेजी कैलेंडर का भी मान रखा और रात 12 बजे के बाद डुबकी लगाने का क्रम शुरू हो गया। रात के तीसरे प्रहर तक पांडेयहवेली और दूसरी ओर अस्सी तक कतार लग गई। स्नान-ध्यान और दर्शन-पूजन विधान का दौर सप्तमी लगने से पहले शाम 5.50 बजे तक चला। इसमें तमाम ऐसे भी रहे जो मन्नतें पूरी होने पर बाजे-गाजे के साथ लोलार्क कुंड तक आए। लोलार्केश्वर महादेव मंदिर में मुंडन कराया, लाल को भी कुंड में स्नान कराया और सौगात के लिए आभार जताया। इसमें पूर्वांचल के साथ ही पश्चिम बिहार तक के श्रद्धालु थे।

धूप व उमस से दो दर्जन अचेत

पूर्व वर्षों के स्याह अनुभवों को देखते हुए सोनारपुरा व अस्सी से लोलार्क कुंड तक बैरिकेडिंग की गई थी। इसमें होते हुए ही कुंड तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को चार-पांच घंटे तक लगे। इस कारण सुबह 10 बजे तल्ख धूप से शुरू हुआ दुश्वारियों का दौर। तपिश व उमस के कारण दो दर्जन महिलाएं गश खाकर गिर पड़ीं।

एहतियातन एनडीआरएफ को कमान

पिछली दो-तीन लोलार्क षष्ठी के दौरान संकरे कुंड में स्नान के दौरान मची भगदड़ का असर रहा कि इस बार एहतियातन पूरी व्यवस्था एनडीआरएफ ने अपने हाथ में ले ली।


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