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Lathmar Holi 2021: बरसाना की लट्ठामार होली, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत

Lathmar Holi 2021 रंगों का त्योहार होली 29 मार्च 2021 दिन सोमवार को मनाई जाएगी। इस वर्ष लट्ठामार होली 23 मार्च दिन मंगलवार मनाई गई। जागरण अध्यात्म में आज जानते हैं कि लट्ठामार होली क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी?

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 10:34 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 07:47 AM (IST)
Lathmar Holi 2021: बरसाना की लट्ठामार होली, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत
Lathmar Holi 2021: बरसाना की लट्ठामार होली, जानें कैसे हुई इसकी शुरुआत

Lathmar Holi 2021: रंगों का त्योहार होली 29 मार्च 2021 दिन सोमवार को मनाई जाएगी। देशभर में होली का त्योहार होलिका दहन के अगले दिन मनाया जाता है, लेकिन मथुरा में होली की शुरुआत एक सप्ताह पूर्व ही हो जाता है। इसका प्रारंभ फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को लड्डू होली से होता है। इसके अगले दिन यानी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को लट्ठामार होली खेली जाती है। नंदगांव के लट्ठामार होली खेलने के लिए बरसाना की हुरयारियों के पास आते हैं। बरसाना की लट्ठामार होली दुनियाभर में लोकप्रिय है। इस वर्ष लट्ठामार होली 23 मार्च दिन मंगलवार को मनाई गई। जागरण अध्यात्म में आज जानते हैं कि लट्ठामार होली क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी?

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लट्ठामार होली की शुरुआत कैसे हुई?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण जब होली के समय राधा जी के गांव बरसाना आए थे, तब उन्होंने होली खेलते वक्त राधा जी और उनकी सहेलियों को छेड़ दिया था। तब उनको सबक सिखाने के लिए राधा जी और उनकी सखियां लट्ठ त​था छड़ी लेकर उनके पीछे पड़ गई थीं। उसके बाद से ही बरसाना में लट्ठामार होली की परंपरा शुरू हो गई।

क्या है लट्ठामार होली? कैसे मनाते हैं?

बरसाना से होली का निमंत्रण पाने के बाद नंदगांव के हुरयारे अगले दिन फाल्गुन शुक्ल नवमी को प्रात:काल से ही लट्ठामार होली की तैयारी करने लगते हैं। रंग, गुलाल और ढाल लेकर वे बरसाना पहुंचने लगते हैं, जहां पर उनके स्वागत में हुरयारियों की टोली खड़ी होती है। नंदगांव के हुरयारे बरसाना की हुरयारियों को छेड़ते हैं और फिर वे उन पर लट्ठ मारती हैं, हुरयारे ढाल से अपनी सुरक्षा करते हैं। लट्ठामार होली प्रेम से परिपूर्ण होता है, जो राधा और कृष्ण के प्रेम का परिचायक है।

लट्ठामार होली के दिन हुरयारे और हुरयारियों के बीच गीत संगीत की प्रतियोगिताएं भी होती हैं। हुरयारे के गीतों का हुरयारियां अपने गीतों से जवाब देती हैं। 

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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