करोड़ों रुपये के कुंभ घोटाले में कार्रवाई शुरू
करोड़ों रुपये के कुंभ मेला घोटाले की प्रारंभिक जांच में दोषी पाए गए अफसरों के विरुद्ध शासन ने पहली बार कार्रवाई का साहस दिखाया है। शासन ने इस मामले में दोषी ठहराए गए ऊर्जा निगम के महाप्रबंधक वित्त अनिल मित्तल से निदेशक वित्त का प्रभार हटा दिया। साथ ही, स्थायी व्यवस्था होने तक निगम के एमडी एसएस यादव को ही निदेशक वित्त क
देहरादून। करोड़ों रुपये के कुंभ मेला घोटाले की प्रारंभिक जांच में दोषी पाए गए अफसरों के विरुद्ध शासन ने पहली बार कार्रवाई का साहस दिखाया है। शासन ने इस मामले में दोषी ठहराए गए ऊर्जा निगम के महाप्रबंधक वित्त अनिल मित्तल से निदेशक वित्त का प्रभार हटा दिया। साथ ही, स्थायी व्यवस्था होने तक निगम के एमडी एसएस यादव को ही निदेशक वित्त का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।
हालांकि, कुंभ और स्पॉट बिलिंग घोटाले में 15 मई को की गई सीबीसीआइडी जांच की संस्तुति शासन स्तर पर लंबित है। दरअसल, शासन ने पिछले वर्ष सितंबर में कुंभ मेला व एक्यूरेट मीटर घोटाले की जांच ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक एसएस यादव को सौंपी थी।
कुंभ घोटाले में महाप्रबंधक वित्त और प्रभारी निदेशक अनिल मित्तल समेत सौ अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रारंभिक जांच में दोषी ठहराया गया है। इस मामले में पहली कार्रवाई महाप्रबंधक वित्त अनिल मित्तल पर की गई है। उनसे ऊर्जा निगम और पिटकुल के निदेशक पद का प्रभार हटाया गया है। अनिल मित्तल पर स्पाट बिलिंग घोटाले का भी आरोप है। ऊर्जा सचिव डॉ. उमाकांत पवार की ओर से जारी इस आदेश में स्थायी व्यवस्था होने तक एमडी ऊर्जा निगम एसएस यादव को निदेशक वित्त का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया है।
अब जलविद्युत निगम के एमडी करेंगे जांच
शासन ने कुंभ मेला घोटाले की विस्तृत जांच अब जलविद्युत निगम के प्रबंध निदेशक जीपी पटेल को सौंप दी है। पूर्व में ऊर्जा निगम के एमडी एसएस यादव द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में घोटाले के आरोपी महाप्रबंधक वित्त अनिल मित्तल का पक्ष नहीं सुना गया था। शासन ने इस बिंदु पर भी संज्ञान लिया है। साथ ही, इस पूरे प्रकरण की जांच जलविद्युत निगम के एमडी जीपी पटेल को सौंप दी। हालांकि, आरोपी के विरुद्ध ऊर्जा निगम के एमडी एसएस यादव ही चार्जशीट तैयार कर शासन को सौंपेंगे।
क्या था कुंभ मेला घोटाला
हरिद्वार में वर्ष 2010 में हुए कुंभ मेले के दौरान ऊर्जा निगम को शहर को रोशन कर सजाने का काम सौंपा गया था। इसके तहत निगम ने अस्थायी सब स्टेशन की स्थापना, स्ट्रीट लाइट, अस्थायी लाइनों के निर्माण व जनरेटर सुविधा के लिए निविदाएं मांगी गई, जिसमें भारी वित्तीय अनियमितताएं सामने आई। प्राथमिक तौर पर गड़बड़ी सामने आने के बाद इंटरनल आडिट में भी इस बात का खुलासा हुआ। दैनिक जागरण ने इंटरनल आडिट की इस रिपोर्ट पर समाचार भी प्रकाशित किया था। तीन वर्ष बाद भी इसमें सवाल-जवाब का दौर ही चलता रहा। अब जाकर पहली बार एक मात्र दोषी अफसर के विरुद्ध शासन स्तर से कार्रवाई की गई है।