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जानें-क्यों हाथ में बांधा जाता है कलावा और क्या है इसका धार्मिक महत्व

धार्मिक मान्यता है कि रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु और महेश समेत तीनों देवियों की कृपा बरसती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति विष्णु जी की कृपा से रक्षा बल और शिवजी की कृपा से सभी संकटों से निजात मिलता है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 03:33 PM (IST)Updated: Sat, 11 Dec 2021 03:33 PM (IST)
जानें-क्यों हाथ में बांधा जाता है कलावा और क्या है इसका धार्मिक महत्व
जानें-क्यों हाथ में बांधा जाता है कलावा और क्या है इसका धार्मिक महत्व

सनातन धर्म में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। स्वंय भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम मित्र और शिष्य अर्जुन से गीता ज्ञान में कहा-"भगवान को प्राप्त करने का सरल मार्ग भक्ति है"। आसान शब्दों में कहें महज भक्ति मार्ग पर गतिशील रहकर ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए सनातन धर्म में पूजा करने का विधान है। इस उपलक्ष्य पर कुल देवी, इष्ट देव समेत सभी देवी-देवताओं का आह्वान कर उनकी पूजा की जाती है। पूजा के दौरान साधकों के माथे पर चंदन लगाया जाता है और हाथ में कलावा यानी रक्षा सूत्र बांधा जाता है। हाथ में कलावा बांधने की शुरुआत दैविक काल से हुई है। आइए, कलावा बांधने की कथा और महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं-

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कथा

किदवंती है कि कालांतर में असुर वृत्रासुर के आतंक से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया। उस समय ऋषि-मुनियों और स्वर्ग के देवताओं ने स्वर्ग सम्राट इंद्र से याचना की। तत्पश्चात, राजा इंद्र असुर वृत्रासुर से युद्ध करने की तैयारी करने लगे। जब स्वर्ग के राजा इंद्र युद्ध पर जा रहे थे, तब इंद्र देवता की अर्धांगिनी शची ने इंद्र देवता की दाहिनी भुजा पर कलावा बांध त्रिदेव और आदिशक्ति से रक्षा की कामना की। इस युद्ध में इंद्र देवता को विजयश्री प्राप्त हुआ था। कालांतर से रक्षा सूत्र बांधने की प्रथा है। एक अन्य किंदवंती है कि भगवान श्रीहरि ने अमरता का वरदान देने के लिए राजा बलि की कलाई पर कलावा बांधा था।

कलावा का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश समेत तीनों देवियों की कृपा बरसती है। ब्रह्मा की कृपा से कीर्ति, विष्णु जी की कृपा से रक्षा बल और शिवजी की कृपा से सभी संकटों से निजात मिलता है। वहीं, माता लक्ष्मी की कृपा से धन, माता दुर्गा की कृपा से शक्ति एवं माता सरस्वती की कृपा से बुद्धि प्राप्त होती है। इसके लिए हाथ में कलावा बांधा जाता है।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'


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