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Kaal Bhairav Jayanti 2020: काल भैरव ने क्यों काट दिया था ब्रह्मा जी का सिर? ब्रह्म हत्या से कैसे मिली मुक्ति?

7 दिसंबर को काल भैरव जयंती है। काल भैरव को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है जिसमें यह बताया गया है कि किस तरह काल भैरव ने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था और ब्रह्म हत्या के दोषी हो गए थे। आइए पढ़ते हैं यह कथा

By Shilpa SrivastavaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 09:01 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 09:00 AM (IST)
Kaal Bhairav Jayanti 2020: काल भैरव ने क्यों काट दिया था ब्रह्मा जी का सिर? ब्रह्म हत्या से कैसे मिली मुक्ति?
काल भैरव ने क्यों काट दिया था ब्रह्मा जी का सिर? ब्रह्म हत्या से कैसे मिली मुक्ति?

Kaal Bhairav Jayanti 2020: 07 दिसंबर को काल भैरव जयंती है। काल भैरव को लेकर एक कथा काफी प्रचलित है जिसमें यह बताया गया है कि किस तरह काल भैरव ने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था और ब्रह्म हत्या के दोषी हो गए थे। आइए पढ़ते हैं यह कथा-

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शिवपुराण में बताया गया है कि एक बार ब्रह्मा व विष्णु स्वयं को भगवान शंकर की माया से प्रभावित होकर श्रेष्ठ मानने लगे थे। इस बारे में जब वेदों से पूछा गया तो उन्होंने शिव को सर्वश्रेष्ठ एवं परमतत्व कहा। लेकिन ब्रह्मा व विष्णु ने उनकी बात का खंडन किया। साथ ही ब्रह्माजी ने शंकर जी की निंदा भी की। यह सुन शंकर जी बेहद क्रोधित हो गए और ब्रह्मा जी से अपने अपमान का बदला लेना चाहा। शिव जी ने क्रोध में आकर अपने रौद्र रूप से काल भैरव को जन्म दिया। काल भैरव ने भगवान के अपमान का बदला लेने के लिए ब्रह्माजी का सिर अपने नाखून से काट दिया। इस कारण से उन पर ब्रह्रा हत्या का पाप लग गया।

काल भैरव को ब्रह्म हत्या से कैसे मिली मुक्ति:

ब्रह्मा का पांचवां सिर काल भैरव के हाथ पर ही चिपक गया था। साथ ही वे उनका सिर काटने के चलते काल भैरव को ब्रह्म हत्या का दोषी पाया गया। ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए शिव जी ने काल भैरव से पृथ्वी जाने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि जब ब्रह्मा जी का कटा हुआ सिर हाथ से गिर जाएगा तब उन्हें ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति मिल जाएगी। आखिरी में काशी में जाकर काल भैरव की यात्रा पूरी हुई और ब्रह्मा जी का सिर उनके हाथ से गिर गया। फिर काल भैरव काशी में ही स्थापित हो गए। काल भैरव शहर के कोतवाल कहलाए।

इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जब काल भैरव ने ब्रह्मा जी का सिर काट दिया था तब ब्रह्महत्या वहां उत्पन्न होकर काल भैरव को त्रास देने लगी। काल भैरव को ब्रह्महत्या से मुक्ति दिलाने के लिए व्रत करने का आदेश दिया। साथ ही शिव जी ने कहा कि जब तक यह कन्या (ब्रह्महत्या) वाराणसी पहुंचे तब तक तुम भी भयंकर रूप धारण करो और इसके आगे जाओ। वाराणसी ही एक मात्र जगह है जहां तुम्हें इस पाप से मुक्ति मिल जाएगी। जब काल भैरव वाराणसी पहुंचे तो ब्रह्महत्या पाताल में चली गई और इस तरह काल भैरव को ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिल गई।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'  


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