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पाण्‍डवों के ज्ञान की परीक्षा के लिए शनिदेव बने द्वारपाल

जाने पाण्‍डवों और शनिदेव से जुड़ी एक कथा जब उनके ज्ञान की परीक्षा लेने के लिए शनिदेव ने द्वारपाल का रूप धारण किया। इसी कथा में कलियुग की पहचान भी छिपी है।

By Molly SethEdited By: Published: Sat, 05 May 2018 09:41 AM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 08:00 AM (IST)
पाण्‍डवों के ज्ञान की परीक्षा के लिए शनिदेव बने द्वारपाल
पाण्‍डवों के ज्ञान की परीक्षा के लिए शनिदेव बने द्वारपाल

पंच पाण्‍डवों की बुद्धिमत्‍ता का इम्‍तहान

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जिस समय पाण्‍डवों का अज्ञातवास चल रहा था तभी शनिदेव ने सोचा कि क्‍यों देखा जाये की वनवास की इस अवधि का पाण्‍डवों पर क्‍या असर पड़ा है। कहीं परिस्‍थितियों ने उन पर विपरीत प्रभाव तो नहीं डाला। ये सोच कर उन्‍होंने सुदूर जंगल में एक विशाल और भव्‍य माया महल निर्मित किया और उसके दूर दूर स्‍थित चारों कोनों पर एक रहस्‍य रचा। महल की सुंदरता से हैरान पांडव अनायास ही आकर्षित हो गए और भीम, अजुर्न, नकुल और सहदेव ने उस महल को पूरा देखने के लिए अपने बड़े भाई युधिष्‍ठिर से आज्ञा मांगी। 

चार कोनों के चार रहस्‍य

इसके बाद वे एक एक करके महल के अंदर जाने लगे। इस पर द्वारपाल बने शनिदेव ने उन्‍हें रोका और कहा कि महल में प्रवेश एक शर्त के साथ ही मिल सकता है। चारों भाइयों के पूछने पर शनिदेव ने सबको एक ही शर्त बताई कि उन्‍हें एक कोना ही घूमने की आज्ञा मिलेगी और वहां मौजूद रहस्‍य का अर्थ बताना अनिवार्य है। यदि वे वहां हो रही घटनाओं का अर्थ ना समझासके उनको कैद कर लिया जायेगा। चारों भाइयों ने अपनी सहमति दे दी और अलग अलग कोनों पर गए। भीम पूरब की ओर गए, अर्जुन पश्चिम, नकुल उत्‍तर और सहदेव दक्षिण दिशा में गए। चारों ने वहां पर विचित्र घटनायें देखीं पर उनका अर्थ नहीं समझ सके इसलिए शनि ने उन्‍हें कैद कर लिया। 

युधिष्‍ठिर ने समझा अर्थ

जब भाई बाहर नहीं आये तो धर्मराज युधिष्‍ठिर को चिंता हुई और वे महल में जाने के लिए तैयार हुए। तब शनि ने उन्‍हें भी रोक लिया और कहा कि आपके भाई महल के रहस्‍य को नहीं समझ सके इसलिए उन्‍हें कैद कर लिया गया है। इस पर युधिष्‍ठिर ने कहा कि उन्‍हें अवसर दिया जाये वे प्रयास करेंगे कि वे सारे रहस्‍य समझ सकें। इस पर शनि ने कहा कि वे जिस भाई के रहस्‍य को समझा देंगे उसे मुक्‍त कर दिया जायेगा। उसके बाद शनि ने एक एक भाई को बुला कर उसे अपने कोने का रहस्‍य बताने के लिए कहा और युधिष्‍ठिर से उनका मतलब पूछा। 

ये हैं चार रहस्‍य 

सबसे पहले भीम आये उन्‍होंने कहा कि पूरब में तीन कुएं हैं अगल-बगल में छोटे और बीच में एक बड़ा। बीच वाला बड़े कुंए में पानी का उफान आता है और दोनों छोटे खाली कुओं को पानी से भर देता है। फिर कुछ देर बाद दोनों छोटे कुओं में उफान आता है पर बडे कुएं का पानी आधा ही रहता है, पूरा नहीं भरता। युधिष्ठिर ने बताया यह कलियुग में होगा जब एक बाप दो बेटों का पेट भर देगा, परन्तु दो बेटे मिलकर एक बाप का पेट नहीं भर पाएंगे। शनि ने भीम को छोड़ दिया। अर्जुन ने बताया कि एक खेत में दो फसल उग रही थी बाजरे और मक्का की, लेकिन बाजरे के पौधे से मक्का निकल रही तथा मक्का के पौधे से बाजरा उन्‍हें बात समझ में नहीं आई। युधिष्ठिर ने स्‍पष्‍ट किया कि यह भी कलियुग मे होने वाला है जब ब्राह्मण के घर बनिये की लड़की और बनिये के घर शुद्र की लडकी ब्याही जाएगी। अर्जुन भी आजाद हो गए। अब नकुल की बारी थी उन्‍होंने कहा कि उन्‍होंने देखा कि बहुत सारी सफेद गायें हैं जब उनको भूख लगती है तो अपनी बछियाओं का दूध पीती हैं। युधिष्ठिर ने कहा कि कलियुग में माताएं अपनी बेटियों के घर में पलेंगी और बेटे मां की सेवा नहीं करेंगे। नकुल भी मुक्‍त हुए और अंत में आये सहदेव उन्‍होंने कहा कि उन्‍होंने देखा की सोने की शिला चांदी के सिक्‍के पर खड़ी डोल रही है पर छूने पर भी गिरती नहीं है ये क्‍या माजरा है। युधिष्‍ठिर ने स्‍पष्‍ट किया कि कलियुग में पाप धर्म पर हावी तो होगा पर उसे खत्‍म नहीं कर सकेगा। इस तरह चारों भाई मुक्त हुए और शनिदेव ने माना कि युधिष्ठिर सबसे अधिक बुद्धिमान हैं। 


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