परमात्मा की प्रत्यक्ष जानकारी है ज्ञान: यथार्थ गीता
जानें कि परमात्मा के विषय में यथार्थ गीता के माध्यम से क्या बताते हैं स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज।
यज्ञ से मिलने वाली जानकारी ही ज्ञान
ज्ञानं तेअहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषत:।
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोअन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते।
मैं विज्ञान सहित ज्ञान को संपूर्णता से कहूंगा। पूर्तिकाल में यज्ञ जिसकी सृष्टि करता है, उस अमृत-तत्व की प्राप्ति के साथ मिलनेवाली जानकारी का नाम ज्ञान है। परमतत्व परमात्मा की प्रत्यक्ष जानकारी का नाम ज्ञान है। महापुरुष को एक साथ सर्वत्र कार्य करने की जो क्षमता मिलती है, वह विज्ञान है। कैसे वह प्रभु एक साथ सबके हृदय में कार्य करता है, किस प्रकार वह उठाता, बैठाता और प्रकृति के द्वंद्व से निकालकर स्वरूप तक की दूरी तय करा लेता है? उसकी इस कार्य-प्रणाल का नाम विज्ञान है।
विरले ही जान पाते हैं ईश्वर को
इस विज्ञान सहित ज्ञान को संपूर्णता से कहूंगा, जिसे जानकर संसार में और कुछ भी जानने योग्य नहीं रह जाएगा। जानने वालों की संख्या बहुत कम है-
मनुष्याणां सहस्त्रेषु कश्चिद्यतति सिद्धये। यततामपि सिद्धानां कश्चिन्मां वेत्ति तत्वत:।।
हजारों मनुष्यों में कोई ही मनुष्य मेरी प्राप्ति के लिए यत्न करता है और उन यत्न करने वाले योगियों में भी कोई विरला ही पुरुष मुझे तत्व यानी साक्षात्कार के साथ जानता है।
परमहंस स्वामी अड़गड़ानंद कृत श्रीमद्भगवद्गीता यथार्थ गीता से साभार