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Shattila ekadashi 2019: 24 एकादशी में से क्यों है इसका इतना अधिक महत्व

वैसे तो हिंदू कलैंडर के अनुसार 24 एकादशी होती हैं, जो मलमास होने पर बढ़ कर 26 हो जाती हैं। उनमें से भी सबसे ज्यादा महत्व माघ मास की षट्तिला एकादशी का होता है, क्यों।

By Molly SethEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 05:03 PM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 09:43 AM (IST)
Shattila ekadashi 2019: 24 एकादशी में से क्यों है इसका इतना अधिक महत्व
Shattila ekadashi 2019: 24 एकादशी में से क्यों है इसका इतना अधिक महत्व

सबसे महत्वपूर्ण है ये एकादशी

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पद्मपुराण में एकादशी व्रत का बहुत ही महात्मय बताया गया है। वहीं इसके विधि विधान का भी उल्लेख किया गया है। पद्मपुराण के अनुसार एक बार नारद मुनि त्रिलोक भ्रमण करते हुए भगवान विष्णु के धाम वैकुण्ठ पहुंचे। वहां पहुंच कर उन्होंने वैकुण्ठ पति को प्रणाम करके उनसे अपनी एक जिज्ञासा व्यक्त की आैर प्रश्न किया कि प्रभु षट्तिला एकादशी की क्या कथा है और इस एकादशी को करने से कैसा पुण्य मिलता है। इस के उत्तर में श्री विष्णु ने एक कहानी सुनाते हुए कहा कि प्राचीन काल में पृथ्वी पर एक ब्राह्मणी रहती थी। ब्राह्मणी उनमे बहुत ही श्रद्धा एवं भक्ति रखती थी। यह स्त्री सभी व्रत रखती थी। एक बार इसने एक महीने तक व्रत रखकर विष्णु जी की आराधना की जिसके प्रभाव से उसका शरीर तो शुद्ध तो हो गया परंतु वह कभी ब्राह्मण एवं देवताओं के निमित्त अन्न दान नहीं करती थी अत: भगवान ने निर्णय किया वह बैकुण्ठ में रहकर भी अतृप्त रहेगी अत: वे स्वयं एक दिन भिक्षा लेने पहुंच गया।

भिक्षा में मिट्टी

जब उन्होंने स्त्री से जब भिक्षा मांगी तो उसने एक मिट्टी का पिण्ड उठाकर भगवान के हाथों पर रख दिया।वे वह पिण्ड लेकर अपने धाम लौट आए। कुछ दिनों पश्चात वह स्त्री भी देह त्याग कर स्वर्ग लोक में आ गयी। यहां उसे एक कुटिया और आम का पेड़ मिला। खाली कुटिया देखकर वह घबराकर भगवान के पास आई और बोली की उसने पूरी धर्मपरायणता से भक्ति की फिर उसे खाली कुटिया क्यों मिली है। तब भगवान ने उसे बताया कि यह अन्नदान नहीं करने तथा मिट्टी का पिण्ड देने से हुआ है।

बताया दान का महत्व

इसके पश्चात भगवान ने उसे बताया कि जब देव कन्याएं उससे मिलने आएं तब अपना द्वार तभी खोलना जब वे षट्तिला एकादशी के व्रत का विधान बताएं। स्त्री ने ऐसा ही किया और जिन विधियों को देवकन्या ने कहा था उस विधि से ब्रह्मणी ने षट्तिला एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसकी कुटिया अन्न धन से भर गयी। तब ही से ये माना जाने लगा कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है और तिल एवं अन्न दान करता है उसे मुक्ति और वैभव की प्राप्ति होती है।

छह रूप से होता है तिल दान

शास्त्रों के अनुसार इस व्रत में तिल का छ: रूप में दान करना उत्तम फलदायी होता है। उन्होंने जिन 6 प्रकार के तिल दान की बात कही है वह इस प्रकार हैं 1. तिल मिश्रित जल से स्नान 2. तिल का उबटन 3. तिल का तिलक 4. तिल मिश्रित जल का सेवन 5. तिल का भोजन 6. तिल से हवन। इन चीजों का स्वयं भी प्रयोग करें और दान में भी दें।


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