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Why we worship Peepal on Saturday: शनिवार को पीपल की पूजा करने से क्यों प्रसन्न होते हैं शनिदेव,जानिए पौराणिक कथा

पीपल का पेड़ वैज्ञानिक दृष्टि से जितना महत्वपूर्ण है धार्मिक दृष्टि से भी उतना ही महत्तवपूर्ण है। मान्यता है कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं आज हम जानेगें इसके पीछे की पौराणिक कथा।

By Jeetesh KumarEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 02:00 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 02:00 PM (IST)
Why we worship Peepal on Saturday: शनिवार को पीपल की पूजा करने से क्यों प्रसन्न होते हैं शनिदेव,जानिए पौराणिक कथा
शनिवार को पीपल की पूजा करने से क्यों प्रसन्न होते हैं शनिदेव,जानिए पौराणिक कथा

Why we worship Peepal on Saturday: पीपल का पेड़ वैज्ञानिक दृष्टि से जितना महत्वपूर्ण है धार्मिक दृष्टि से भी उतना ही महत्तवपूर्ण है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में पीपल के पेड़ पर पितरों का वास माना गया है अतः पितृ पूजा में पीपल के पेड़ का विशेष स्थान है । इसके अतिरिक्त स्कंदपुराण में पीपल के वृक्ष की तुलना श्री हरि विष्णु से की गई है। गीता में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि वृक्षों में मैं पीपल हूं। इसलिए हिन्दू धर्म में पीपल के पेड़ को पूजनीय माना गया है। इसके साथ ही मान्यता है कि शनिवार के दिन पीपल के पेड़ का पूजन करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं, आज हम जानेगें इसके पीछे की पौराणिक कथा।

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ऋषि पिप्लाद की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि पिप्लाद के माता-पिता की मृत्यु शनि की महादशा के कारण अल्पायु में हो गई थी। जिससे क्रोधित हो कर ऋषि पिप्लाद ने पीपल के पेड़ के नीचे कई वर्षों तक केवल पीपल के पत्ते खा कर ब्रह्म देव का तप किया। ब्रह्म देव ने प्रसन्न होकर उन्हे वरदान में ब्रह्मदण्ड प्रदान किया। ऋषि पिप्लाद ने प्रतिशोध में ब्रह्मदण्ड का प्रहार शनिदेव पर किया, जिससे उनका एक पैर टूट गया। शनिदेव जीवन रक्षा के लिए भगवान शिव की शरण में जा पहुंचे। भगवान शिव ने ऋषि पिप्लाद का क्रोध शांत कराते हुए वरदान दिया कि शनिवार के दिन जो भी पीपल के पेड़ का पूजन करेगा, शनिदेव की महादशा का उस पर दुष्प्रभाव नहीं होगा।

राक्षस कैटभ की कथा

एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार स्वर्गलोक पर असुरों का राज हो गया था। तब कैटभ नाम का एक राक्षस पीपल के पेड़ का रूप धारण कर यज्ञों को नष्ट करने लगा। जब ऋषिगण यज्ञ समिधा लेने पीपल के पेड़ के पास जाते, तो राक्षस उनका भक्षण कर लेता था। ऋषियों ने शनि देव से सहायता मांगी। शनिदेव स्वयं ब्राह्मण कुमार का रूप लेकर पीपल के पेड़ के पास गए और राक्षस कैटभ का वध कर दिया। इस तरह शनिदेव ने पीपल के पेड़ और ऋषियों को राक्षस के आतंक से मुक्ति दिलाई। तब से मान्यता है कि जो भी शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करता है उस पर शनिदेव शीध्र प्रसन्न होते हैं।

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

 


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