Akshat Importance: हर मांगलिक कार्य में क्यों मौजूद होता है अक्षत्? जानें क्या है इसका धार्मिक महत्व
Akshat Importance पूजा पाठ का अभिन्न हिस्सा है चावल यानी अक्षत्। पूजा के संकल्प से लेकर दक्षिणा के तिलक तक सभी जगह अक्षत् का उपयोग आवश्यक है। आखिर हमारी संस्कृति में चावल को इतना अधिक महत्व क्यों दिया गया है?
Akshat Importance: पूजा पाठ का अभिन्न हिस्सा है चावल यानी अक्षत्। इसके बिना माथे पर कुंकुम से लगाया गया तिलक भी अधूरा है। पूजा के संकल्प से लेकर दक्षिणा के तिलक तक, सभी जगह अक्षत् का उपयोग आवश्यक है। आखिर हमारी संस्कृति में चावल को इतना अधिक महत्व क्यों दिया गया है? इनके बिना हर पूजा अधूरी क्यों मानी जाती है? शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन के ऊपर भी क्यों अक्षत् उड़ाए जाते हैं?
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास ने बताया कि इसके पीछे कई सारे कारण हैं। चावल यानी धान, ये लक्ष्मी को सबसे ज्यादा प्रिय है। उत्तर और दक्षिण भारत के दोनों भागों में सबसे प्रमुख आहार भी चावल ही है। ये सम्पन्नता का प्रतीक है, इसलिए इन्हें धान कहा गया है। जो धन पैदा करे, वो धान। धान की हर बात निराली है, इसके सारे गुण ऐसे हैं, जो इसे पूजा में रखने योग्य बनाते हैं।
अक्षत् का महत्व
अक्षत् कभी खराब नहीं होता, ये दीर्घायु है। जितना ज्यादा पुराना होता है, उतना ही अधिक स्वादिष्ट होता है, इसलिए पुराने चावल की कीमत ज्यादा होती है। इनके लंबे समय तक बने रहने के कारण ही इन्हें आयु का प्रतीक माना जाता है। जब किसी के माथे पर तिलक लगाया जाता है, तो वो सम्मान और यश का प्रतीक होता है, उस पर दो दाने चावल के लगाने का अर्थ है कि उसकी आयु के साथ उसका यश और सम्मान भी लंबे काल तक जीवित रहे। पूजा में भी इसे इसी कारण उपयोग किया जाता है।
मांगलिक कार्यों में अक्षत् उपयोग के 5 कारण
अक्षत् का रंग सफेद होता है, सफेद सत्य का प्रतीक है, शांति का कारक रंग है। हमारी पूजा में जो सत्य भाव है, वो परमात्मा को समर्पित हो और हमारे जीवन में शांति आए, इस भाव के लिए अक्षत पूजा में चढ़ाए जाते हैं। इनकी तासीर भी ठंडी होती है। ये शीतलता प्रदान करते हैं, हवन, यज्ञ आदि से उत्पन्न गर्मी को शांत करने के लिए अक्षत् का अर्पण होता है। इस तरह धन, आयु, शांति, सत्य और शीतलता। इन पांच कारणों से अक्षत् पूजा में रखे जाते हैं, या अन्य धार्मिक कामों में उपयोग किए जाते हैं।
पितरों को चावल के आटे का पिंडदान
मृत्यु के बाद भी पितरों को जो पिंड तर्पण किए जाते हैं, वे चावल के आटे के होते हैं। इसके पीछे भी मान्यता है कि चावल से पितरों को ना केवल तृप्ति मिलती है, बल्कि उनको ये लंबे समय संतुष्टि प्रदान करते हैं। उन्हें सद्गति और मोक्ष की और ले जाते हैं।