आसान नहीं रमजान में इबादत जहां सूरज ही नहीं ढलता कभी उनके रोजे के बारे में सोचिए
रमजान का महीना बेहद पाक माना जाता है क्योंकि इस महीने हर बुराई से खुद को दूर रख भूखे प्यासे अपने आप को ईश्वर की इबादत में लगाना होता है।
सूरज छिपने के बाद खत्म होता है रोजा
रमजान के महीने में मुस्लिम संप्रदाय के लोग रोजा रखते हैं। ये एक तरह का र्निजल व्रत होता है जिसमे पूरा दिन उन्हें भूखा-प्यासा रहना पड़ता है। रोजे की अवधि सूरज निकलने के बाद तब तक चलती है जब तक सूरज छिप नहीं जाता। अब इन दिनों मई माह चल रहा है इस भीषण गर्मी में रोजा रखना बेहद मुश्किल कार्य है, फिर भी सब इसे पूरी श्रद्धा के साथ पूरा करते हैं। । ऐसे में क्या कभी आपने किसी ऐसी जगह के बारे में सोचा है जहा सूरज डूबता ही नहीं है। सोचिए वहां लोग कैसे रोजा रखते होंगे।
नहीं ढलता है सूरज
भारत या दक्षिण एशियाई देशों में अधिकांश जगह सूरज निकलने के तकरीबन 16-17 घंटे बाद ढलता ही है, लेकिन ऐसी जगह भी हैं जहां सूरज महज 55 मिनट के लिए ढलता है या 24 घंटे नहीं छिपता है। सोचिए लोग कैसे वहां रोजा रखते होंगे। जानकर हैरानी होगी कि आर्क्टिक सर्कल में आने वाले देशों में 24 घंटे सूरज की रोशनी छाई रहती है। ऐसे में कब सहरी खाई जाए और कब इफ्तार होगा, और कब नमाज पढ़ें और कब तरावीह यह सब कैसे तय होता है क्या आपने ये सोचा है। आइये जाने कैसा होता है वहां रोजा जहां सूरज नहीं ढलता।
20 घंटे से ज्यादा का रोजा
लैपलैंड, फिनलैंड और स्वीडन ऐसे देश हैं, जहां सूरज बहुत कम समय के लिए अस्त होता है। खास बात ये है कि अकेले फिनलैंड में रहने वाले मुसलमानों की जनसंख्या वहां की आबादी की लगभग 3 प्रतिशत हैं। स्वीडन में 6 लाख मुस्लिम रहते है। फिनलैंड में गर्मी में केवल 73 दिनों तक सूरज अपनी रोशनी बिखेरता है। इस दौरान उत्तरी फिनलैंड महज 55 मिनट के लिए ही सूर्य अस्त होता है। जिसके चलते वहां रोजा सुबह 1:35 बजे से शुरू हो कर रात के 12:40 बजे खत्म होता है, हुए ना कुल 55 मिनट उसी दौरान खाना पीना होता है। रोजे का समय पूरे 23 घंटे और 5 मिनट तक रहता है।
यहां तो रोजा खोलने का समय ही नहीं होता
ऐसे में सोचिए लैपलैंड के बारे में जहां 24 घंटे का दिन होता है वहां तो रमजान के साथ शुरू हुए रोज रमजान के बाद ही खत्म होंगे क्योंकि सूरज छिपा ही नहीं। इसके लिए तरकीब निकाली गई कि यहां लोग समय के हिसाब से रोजा रखें। इसके लिए ज्यादातर लोग नजदीकी मिडिल ईस्ट कंट्री के समय के हिसाब से अपने रोजे का समय निर्धारित करते हैं। वैसे अलग देशों में ही नहीं कई बार एक ही देश के विभिन्न इलाकों में भी सूरज निकलने और छिपने का समय अलग होता है जिसके चलते रोजे का समय भी अलग-अलग हो जाता है।