क्यों मनाते हैं हरियाली तीज जानें इस पर्व से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में हरियाली तीज का पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है। आइये पंडित दीपक पांडे से जानें इस पर्व से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
खास है इस पर्व से जुड़ी बातें
सावन महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस बार यह पर्व 13 अगस्त 2018 को पड़ रही है। ये पर्व शिव और पार्वती के पुर्नमिलन के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है। इसी लिए सौभाग्य से जुड़ी हर कामना की पूर्ती के लिए स्त्रियां विशेष रूप से पर्व को मनाती हैं। इस दिन वे सोलह श्रंगार करती हैं आैर मेंहदी आदि रचा कर शिव पार्वती का पूजन करती हैं। जहां विवाहित स्त्रियां इस त्योहार को अखंड सौभाग्य के लिए मनाती हैं वहीं कुंवारी कन्याएं योग्य वर की कामना से इस त्योहार को मनाती हैं। आइये जानें इस पर्व से जुड़ी कुछ खास बातें।
माता पार्वती से गहरा रिश्ता
पौराणिक कथाआें के अनुसार इस पर्व का देवी पार्वती से विशेष संबंध हैं। शास्त्रों के अनुसार पार्वती जी ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए, आैर अंत में 108वें जन्म में कठोर तप के बाद भगवान शंकर ने उनको अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था।
अखंड सौभाग्य आैर योग्य वर की अपेक्षा
तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर सदा सौभाग्यवती होने आशीर्वाद देती हैं। साथ ही विवाय योग्य कन्यायें भी अच्छे पति की कामना से इस व्रत को करती हैं।
सावन का प्रमुख पर्व
हरियाली तीज सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। यह त्यौहार नाग पंचमी के दो दिन पहले होता है। यह महिलाओं के मुख्य त्यौहारों में से एक है। इस दिन शिवपार्वती की पूजा और व्रत का विधान होता है।
उत्तर भारत में महत्व
उत्तर भारत लगभग सभी राज्यों में तीज का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन महलायें मायके से आए वस्त्र आैर श्रृंगार की वस्तुये पहनती हैं। इस उपहार को सिंधारा कहते हैं। इस सिंधारे में खाने की चीजें भी आती हैं। सावन में विशेष रूप से बनने वाली इन चीजों में घेवर, अंदरसे, गुझिया आैर फेनी शामिल होती हैं।